जीवन की कोरा कागज में मै क्या-क्या लिखना चाहा,
गमों को मै खुशी में बदलना चाहा,
हर खुशी की तस्वीर बदलना चाहा,
टूटी हुई किस्मत को मै लिखना चाहा।
गमों को मै खुशी में बदलना चाहा,
हर खुशी की तस्वीर बदलना चाहा,
टूटी हुई किस्मत को मै लिखना चाहा।
जीबन की दो पन्नों को मै पलट कर देखा था,
कुछ तो खामिया था, कुछ उसमे गलतियां थी,
जोड़ तोड़ कर क्या लिखू, कुछ तो नया लिखना था,
मै हु एक मुसाफिर, हर बाजी मै पलटना चाहता था।
शायद मेरा किस्मत में क्या था, सिर्फ लड़ाई?
मैं बहादुर योद्धा नहीं, मै कोई कर्मवीर भी नहीं,
युद्ध मेरा पेशा नहीं, शस्त्र कभी उठाया नहीं,
जिंदगी की जंग हो तो ऐसा, इस जंग में बहादुर वही।
मैं मुसाफिर भागता फिरा, कहां है मेरा ठिकाना,
मैं अकेला चलता फिर रहा, दूर-दूर तक मेरा नहीं है कोई अपना,
कौन अपना कौन पराया, किसने जीने का उद्देश्य को जाना,
मैं मुसाफिर लड़ता फिर रहा, नहीं है मेरा कोई ठिकाना।
किसी शायर ने ये बाक्य सही कहा है,
और मै मुसाफिर भागता फिर रहा हु,
जाग मुसाफिर भोर भया, रैन कहा जो सोयेगा,
जो सोबत है सो खोबत है, जो जागत है सो पाबत है,
जीबन मे तकदीर ने बहुत कुछ करबाया है,
हाथो की लकीर को मिटकर, नया लकीर बनते देखा है,
मै मुसाफिर हर मुश्किल मे लड़कर मै आया है,
खाया सोगंध जीत की, तकदीर हमने लिखा है।
जीत की सौगंध खायी हमने हर हाल मे जितना है,
चाहे कुछ भी हो जाए, हर हाल मे जितना है,
जीबन मे समय ने दस्तक दी है, कुछ तो नया लिखना है,
खायी है सौगंध जीत की, हारकर नहीं जाना है।
मै मुसाफिर भागता फिर रहा,
देखा हु हाथ की लकीर को,
पलों पलों मे कुछ भी हो जाए,
हर लकीर को टूटते देखा है।
मै बदनसीब हु, मेरा भाग्य ख़राब है,
भाग्य की फेरे मे मै ना रहा हु,
टूटे भाग्य बनाने के लिए लड़ता लड़कर आया हु,
खायी है कसम जीत की, भाग्य को करीब से देखा हु।
मै मुसाफिर भागता फिर रहा,
डुबकी मै लगाई थी,
मणि, मानिक मै खोजता रहा,
जीबन की बाजी लगाई थी।
जीत की कसक लगी थी मुझे,
हसकर मै द्वाब लगाई थी,
मणि, मानिक मै ढूंढता रहा,
जैसे गोताखोर डुबकी लगाते है,
जीबन को मै तुच्छ समझा,
कुछ मायने निकलना चाहता था,
मै एक मुसाफिर, पल पल मै टुटा था,
टूटना, जुड़ना जीबन की रित है,
हौसला मै नहीं खोया था।
हारकर मै नहीं जाऊंगा, जीत की कसम खाया था,
मै बाज़ीगर, जीबन की हर बाजी को मै पलटना चाहता था।
कौन अपना, कौन मित्र जीबन मे सब छूट गए,
मै अकेला चलता फिर रहा, सब मै यहाँ लूट गए।
मै मुसाफिर भागता फिर रहा,
कसम मै खायी थी सच्चाई की,
भटक भटक कर थक गए,
देख रहा था जगदीश।
सच के लिए मै लड़ता फिर रहा,
जीबन को तपस्या मै जाना था,
झूठ का जीबन मे कोई जगह नहीं,
मुझ से मिला था जगदीश।
मै मुसाफिर लड़ता फिर रहा,
ओसूल पे ना समझौता किया था,
सच को मै अंतिम ठाना था,
झूठ से ना मै दोस्ती किया था।
जग में मैं घूमता फिर रहा,
यहाँ कौन किसका मित्र हुआ,
सच की तलाश करता फिर रहा,
ज्ञान की बाजी में लगाया था।
मैं मुसाफिर लड़ता फिर रहा,
जीत की कसम मैं खाया था,
जीता जागता उदाहरण-मै बनना चाहता था,
जीवन की कोरा कागज में मैं क्या-क्या लिखना चाहता था।
लड़ता लड़ता लड़ाकू मैं यहाँ बन गया,
लड़कर मै जीबन जीने का गुर में यहाँ सीखा था,
लड़ता लड़ता प्रकृति ने हमें बहुत कुछ यहाँ सिखा दिए,
जीवन जीने की कला को मैं यहाँ जान गए,
मै मुसाफिर लड़ता लड़कर मै आया है
जीबन जीने का उद्देश्य को मै यहाँ पाया है,
भीषण प्रतिज्ञा मै किया था,
अर्जुन की तरह निशाना लगाया था,
अहंकार की जंजीर को मै तोडना चाहता था,
जीबन की कठिन संग्राम कौन देता है साथ,
मै यहाँ लड़ता फिर रहा हर मुश्किल और हालात,
लड़ता लड़ता मै यहाँ लड़ाकू मै बन गया,
जीबन की युद्ध मे मै नयी भाग्य यहाँ लिख दिया।
मै यहाँ लड़ता फिर रहा हर मुश्किल और हालात,
लड़ता लड़ता मै यहाँ लड़ाकू मै बन गया,
जीबन की युद्ध मे मै नयी भाग्य यहाँ लिख दिया।
मै मुसाफिर जीबन की युद्ध मे-मै कठोर शपथ लिया था,
जीबन की कोरा कागज को फाड़कर,
मै क्या क्या लिखना चाहता था।।
1: जीवन की यात्रा और मुसाफिर का अकेलापन:-
कविता में कवि खुद को एक मुसाफिर के रूप में चित्रित करता है, जो जीवन की राह पर निरंतर भटकता रहता है। वह कहता है कि जीवन दो पन्नों जैसा है, जिसमें खामियां और गलतियां भरी पड़ी हैं, लेकिन वह इनसे ऊपर उठकर नया लिखना चाहता है। मुसाफिर का बार-बार भागना और ठिकाने की तलाश जीवन की अनिश्चितता को दर्शाती है। कोई अपना नहीं मिलता, सब पराया लगता है, और वह अकेला ही लड़ता फिरता है। यह पॉइंट जीवन की सच्चाई को उजागर करता है कि यात्रा में अकेलापन साथी बन जाता है, लेकिन इससे हार नहीं माननी चाहिए। कवि के शब्दों में, "मैं मुसाफिर भागता फिर रहा, नहीं है मेरा कोई ठिकाना" यह भावना व्यक्त करता है कि जीवन एक अंतहीन सफर है, जहां स्थिरता की बजाय संघर्ष ही सच्चा साथी है। इस यात्रा से सीख मिलती है कि अकेलेपन में भी हौसला बनाए रखना जरूरी है।
कविता में कवि खुद को एक मुसाफिर के रूप में चित्रित करता है, जो जीवन की राह पर निरंतर भटकता रहता है। वह कहता है कि जीवन दो पन्नों जैसा है, जिसमें खामियां और गलतियां भरी पड़ी हैं, लेकिन वह इनसे ऊपर उठकर नया लिखना चाहता है। मुसाफिर का बार-बार भागना और ठिकाने की तलाश जीवन की अनिश्चितता को दर्शाती है। कोई अपना नहीं मिलता, सब पराया लगता है, और वह अकेला ही लड़ता फिरता है। यह पॉइंट जीवन की सच्चाई को उजागर करता है कि यात्रा में अकेलापन साथी बन जाता है, लेकिन इससे हार नहीं माननी चाहिए। कवि के शब्दों में, "मैं मुसाफिर भागता फिर रहा, नहीं है मेरा कोई ठिकाना" यह भावना व्यक्त करता है कि जीवन एक अंतहीन सफर है, जहां स्थिरता की बजाय संघर्ष ही सच्चा साथी है। इस यात्रा से सीख मिलती है कि अकेलेपन में भी हौसला बनाए रखना जरूरी है।
2: भाग्य और किस्मत का संघर्ष:-
कविता भाग्य की विडंबनाओं पर गहराई से प्रकाश डालती है। कवि टूटी हुई किस्मत को जोड़ना चाहता है और हाथ की लकीरों को मिटाकर नई लकीरें बनाने की बात करता है। वह खुद को बदनसीब मानता है, लेकिन भाग्य की फेर में फंसने से इनकार करता है। "टूटी हुई किस्मत को मै लिखना चाहा" जैसे शब्द दर्शाते हैं कि भाग्य पूर्वनिर्धारित नहीं है, बल्कि संघर्ष से इसे बदला जा सकता है। कवि योद्धा नहीं है, फिर भी जीवन की जंग में बहादुर बनता है। यह पॉइंट सिखाता है कि किस्मत से लड़ाई अनिवार्य है, और इंसान अपनी तकदीर खुद गढ़ सकता है। भाग्य की लकीरों को टूटते देखकर भी वह हार नहीं मानता, बल्कि नई राह बनाता है। इस संघर्ष से जीवन में नई ऊर्जा मिलती है, और कवि "तकदीर हमने लिखा है" कहकर जोर देता है कि भाग्य हाथों में है।
3: जीत की प्रतिज्ञा और हौसला:-
कविता में जीत की सौगंध एक प्रमुख भाव है, जो कवि के दृढ़ संकल्प को दिखाती है। वह हर हाल में जीतने की कसम खाता है, चाहे मुश्किलें कितनी भी हों। "खायी है सौगंध जीत की, हारकर नहीं जाना है" जैसे वाक्य हौसले की मिसाल हैं। कवि गोताखोर की तरह डुबकी लगाकर मणि ढूंढने की बात करता है, जो जीवन में जोखिम उठाने का प्रतीक है। टूटना-जुड़ना जीवन की रीत है, लेकिन हौसला नहीं खोना चाहिए। यह पॉइंट प्रेरित करता है कि प्रतिज्ञा से असंभव भी संभव हो जाता है। कवि बाजीगर बनकर हर बाजी पलटना चाहता है, यानी विपरीत परिस्थितियों को अपने पक्ष में मोड़ना। इस हौसले से जीवन की हर चुनौती पर विजय पाई जा सकती है, और कवि अर्जुन की तरह निशाना लगाने का उदाहरण देकर सिखाता है कि फोकस से जीत निश्चित है।
4: सच्चाई, तपस्या और ज्ञान की तलाश:-
कविता सच्चाई पर जोर देते हुए झूठ से दूरी बनाने की बात करती है। कवि "कसम मै खायी थी सच्चाई की" कहकर ओसूलों पर समझौता न करने का संदेश देता है। वह जग में घूमकर सच की तलाश करता है, और ज्ञान की बाजी लगाता है। झूठ का जीवन में कोई स्थान नहीं, और तपस्या से जीवन को सार्थक बनाना है। जगदीश (ईश्वर) का जिक्र आध्यात्मिक खोज को दर्शाता है। यह पॉइंट सिखाता है कि सच्चाई से ही सच्चा ज्ञान मिलता है, और भटककर भी थकना नहीं चाहिए। कवि सच के लिए लड़ता फिरता है, जो जीवन की तपस्या है। इस तलाश से इंसान जीता-जागता उदाहरण बन सकता है, और अहंकार की जंजीर तोड़ सकता है। प्रकृति से सीखकर जीवन जीने की कला आती है, और सच्चाई अंतिम सत्य है।
5: जीवन की जंग और लड़ाकू बनना:-
कविता जीवन को एक युद्ध के रूप में चित्रित करती है, जहां कवि लड़ता-लड़ता लड़ाकू बन जाता है। "लड़ता लड़ता लड़ाकू मैं यहाँ बन गया" जैसे शब्द संघर्ष की तीव्रता दिखाते हैं। वह हर मुश्किल और हालात से लड़ता है, और जीवन की कठिन संग्राम में साथ न मिलने पर भी अकेला आगे बढ़ता है। यह पॉइंट बताता है कि जीवन की जंग में बहादुर वही जो डटकर मुकाबला करे। कवि योद्धा या कर्मवीर नहीं है, लेकिन मजबूरी में लड़ता है। इस लड़ाई से जीवन जीने का गुर सीखा जाता है, और प्रकृति बहुत कुछ सिखाती है। लड़कर ही इंसान मजबूत बनता है, और हर बाजी को पलटने की कला आती है। यह भाव जीवन की सच्चाई है कि संघर्ष से ही विकास होता है।
6: जीवन कोरे कागज पर नई कहानी लिखना:-
कविता की शुरुआत और अंत जीवन को कोरे कागज के रूप में दर्शाती है, जिसमें कवि गम को खुशी में बदलना चाहता है। "जीवन की कोरा कागज में मै क्या-क्या लिखना चाहा" से स्पष्ट है कि जीवन खाली पन्ना है, जहां टूटी किस्मत को जोड़कर नया लिखा जा सकता है। कवि समय की दस्तक पर नया लिखने की बात करता है। यह पॉइंट सिखाता है कि अतीत की गलतियां मिटाकर भविष्य गढ़ा जा सकता है। शायर की उक्ति "जाग मुसाफिर भोर भया" जागरूकता का संदेश देती है कि सोने वाला खोता है, जागने वाला पाता है। कोरा कागज फाड़कर नया लिखना बदलाव की शक्ति है। इस से जीवन का उद्देश्य मिलता है, और कवि नई भाग्य लिखकर समाप्त करता है।
निष्कर्ष:-
यह कविता जीवन के संघर्ष, भाग्य से लड़ाई और जीत के दृढ़ संकल्प को केंद्र में रखकर एक प्रेरणादायक संदेश देती है। मुख्य पॉइंट्स से स्पष्ट है कि जीवन एक मुसाफिर की यात्रा है, जहां अकेलापन, टूटी किस्मत और जंग अनिवार्य हैं, लेकिन सच्चाई, हौसला और प्रतिज्ञा से इंसान अपनी कहानी खुद लिख सकता है। कुल मिलाकर, कविता हार न मानने और जीवन को सार्थक बनाने का आह्वान करती है, जो हर व्यक्ति को आत्म-निर्भर और लड़ाकू बनने की प्रेरणा देती है।
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