जीवन मे तुमने क्या देखा?
दो वक्त, रोटी, कपड़ा, मकान और वैभव,
शायद जिंदगी इतना ही नहीं,
जिंदगी दो वक्त की पहिए मे घूमते रहते है।
दो वक्त, रोटी, कपड़ा, मकान और वैभव,
शायद जिंदगी इतना ही नहीं,
जिंदगी दो वक्त की पहिए मे घूमते रहते है।
वात दो वक्त की ही नहीं,
वात एक तलाश की, वात जिंदगी सजाने की,
कारण कव वक्त निकल जाए!
वात कुछ पाने की, कुछ हासिल करने की है।
लोग यु ही गुजर देते है दो वक्त को,
लोग यु ही गवा देते है दो वक्त को,
दो वक्त तो यु ही चलते रहेंगे, कव समझोगे?
जव वात आए ज्ञान रूपी अलंकार से जिंदगी सजाने की।
वात दो वक्त की ही नहीं,
कव गुजर जाए पता भी ना चले,
वक्त भी वड़ा अजीब है,
जिसको समय मे नसीव होता है,
वह शुक्र गुज़ार होता है।
जिंदगी भी कामाल की वात करते,
कोई इंतजार करते है कव वक्त आएगा,
और कोई कहते है वक्त निकल गया,
शायद इसलिए भी वक्त बहुत कीमती होता है।
कोई कहते है वक्त आया ही नहीं,
इंतजार किस वात की, वक्त भी उन्हें ठुकरा देता है,
कोई सोचता है वक्त आने दो, तव देखा जायगा,
उन्हें क्या पता वक्त आया और चला गया।
कोई खुदको तराशने के लिए बैठा था,
उन्हें भी दो वक्त नसीब हुआ,
पकड़ पाया तो ठीक, नहीं पाया तो भी ठीक,
कौन जाने वक्त कव किस मोड़ पर क्या रोल निभाते है।
वक्त भी वक्त मे क्या कामाल करते है,
जो अंदेशा था, वो हुआ ही नहीं,
और जो सपनो मे भी नहीं सोचा वह हुआ है,
इसलिए शायद वक्त हर किसी की पकड़ से काफ़ी दूर।
कोई वक्त की मोहताज नहीं हुआ,
ना जाने कोनसा पहाड़ तोड़ना है!
दो वक्त उन्हें भी मिलते है, जो इसके हक़दार नहीं होते है,
करामात वो भी करते है, जो ना काविल होते है।
वक्त का पीछे भागते भागते कई थक गए,
और कोई है जो वक्त को लपक लिए,
प्रश्न इस बात की नहीं, वह काविल थे या नहीं,
प्रश्न इस बात की है, वह वक्त को पकड़ने के लिए इच्छुक थे या नहीं।
इंतजार भी अधिक हो पीड़ा देता है,
दो वक्त कव आएगा? दो वक्त कव आएगा?
वास्तव मे वही वक्त है सही पाशा फेकने का,
वक्त की ख़याल मे डुवे हुए लोग इंतजार किस वात की?
दो वक्त कितना कीमती होता है,
जो वक्त मे ट्रैन छूटा है या वक्त मे जो वाल वाल बची है,
वक्त ने तो वक्त की कीमत समझा ही दिया है,
वस हम नासमझ समझ ही नहीं पाते है।
जीवन मे वक्त भी क्या चमत्कार करते है,
दो वक्त ऐसा आते कुछ गम की रेखा छोड़ जाते है,
और लोगो का फितरत होता है दूसरे गिराना,
वस् डटे रह हिरे की पहचान अपने आप हो जायगा।
कोई कहते है हिरे की पहचान वक्त मे होता है,
वो वक्त कव आया? यहां हिरे बिखरे पड़े है,
और हिरे को क्या पता वो हिरे है!
वस् अक्ल की ही कमी वक्त को पहचान ना पाई।
वक्त ने दो वक्त मे ऐसा पाशा फेका,
जो अहंकार मे दम्भ भरता था,
वह भी वक्त मे निरुत्तर हो गए,
वस् दो वक्त की खेल देखते रह।
वक्त ने दो वक्त मे ऐसा गवाही दी है,
होनहार की सरताज सजाया है,
और जो दम्भ मे उड़ता था उनको मोहताज बनाया है,
पता नहीं वक्त की खेल कव किसकी वाज़ी पलट देता है।
कहदो अपने और दोस्तों को दो अनमोल बात,
कारण वक्त मिले ना मिले,
वह उत्तर देने के लिए तैयार बैठे है,
कारण वक्त बाजी हर कोई जीतना चाहते है।
दो वक्त अपने लिए भी है, और दो वक्त उनको भी दो,
कारण सवसे वड़ा न्यायाधीश ऊपर वैठा है,
वक्त की गलत इस्तेमाल मे अन्याय की बुनियाद ना रखो,
कारण यही वो वक्त है खुदको न्यायधीश वनने का मौका देता है।
वस् समझ लो वक्त एक जादू है,
जो समझ और पकड़ लिए उनके लिए ये जीवन वरदान है,
इसलिए लोग कहते है वक्त वड़ा वलवान है।
लिखलो दो वात जीबन की, वक्त मिले या ना मिले,
कहदो दो वात अपने दोस्तों को,
वक्त मिले या ना मिले, कौन किसका इंतजार करें!
दो वक्त ही मिला देता है और दो वक्त ही बिछोड़ देता है।
लिखलो दो बात जीवन की, वक्त मिले या ना मिले,
याद करेंगी जमाना, कहाबत लिखेगी जमाना,
वक्त को पहचानो मेरे दोस्त,
कारण खेलना नहीं खिलाड़ी बनना है।
याद करेंगी जमाना, कहाबत लिखेगी जमाना,
वक्त को पहचानो मेरे दोस्त,
कारण खेलना नहीं खिलाड़ी बनना है।
लिखलो दो वात जीवन की, वक्त मिले या ना मिले,
और किसे पता है वो कहा मिले, लेकिन वह चाहत थे या नहीं,
या कसूर थे या नहीं, वक्त के पहिया यु ही गुजर जाते है,
प्रतिक्षा किस बात की? जो करना है करदो,
जो कहना है कह दो, वात एक साधारण इंसान की नहीं,
वात एक स्वाभिमानी और खुद्दार इंसान की है।
कविता में जीवन को सिर्फ दो वक्त की रोटी, कपड़ा, मकान और वैभव तक सीमित न मानकर, एक गहरी तलाश के रूप में दर्शाया गया है। लोग अक्सर दैनिक रुटीन में फंसकर जीवन को पहिए की तरह घूमते रहने देते हैं, लेकिन कवि कहता है कि जीवन इससे कहीं अधिक है। यह ज्ञान रूपी अलंकार से जीवन को सजाने, कुछ पाने और हासिल करने की बात करता है। वक्त कब निकल जाए, पता नहीं चलता, इसलिए व्यर्थ गुजारने के बजाय, इसे सार्थक बनाने की कोशिश करनी चाहिए। लोग यूं ही दो वक्त को गंवा देते हैं, लेकिन जब समझ आती है, तब पछतावा होता है। यह पॉइंट हमें प्रेरित करता है कि जीवन की सच्ची खुशी बुनियादी जरूरतों से आगे, आत्म-विकास और उपलब्धियों में है।
2. वक्त की अनिश्चितता और कीमत:-
कविता वक्त को अजीब और अनमोल बताती है, जो कब गुजर जाता है, पता नहीं चलता। कुछ लोग इंतजार करते रहते हैं कि वक्त आएगा, जबकि कुछ कहते हैं कि निकल गया। वक्त की कीमत तब समझ आती है जब ट्रेन छूट जाती है या कोई हादसा टल जाता है। यह अप्रत्याशित है – जो सोचा नहीं, वह हो जाता है, और जो अंदाजा था, वह नहीं। कवि कहता है कि वक्त किसी की मोहताज नहीं, यह हर किसी को मिलता है, लेकिन शुक्रगुजार वही होता है जो इसे नसीब मानकर उपयोग करता है। इंतजार पीड़ा देता है, इसलिए वर्तमान में कार्य करना जरूरी है। यह पॉइंट सिखाता है कि वक्त की अनिश्चितता हमें सतर्क रखती है और जीवन को मूल्यवान बनाती है।
3. इच्छाशक्ति से वक्त को पकड़ना:-
कविता में जोर दिया गया है कि वक्त को पकड़ने का सवाल काबिलियत से ज्यादा इच्छा का है। कुछ लोग वक्त के पीछे भागते थक जाते हैं, जबकि कुछ इसे लपक लेते हैं। खुद को तराशने वाले को भी वक्त नसीब होता है, लेकिन अगर इच्छा न हो, तो व्यर्थ। जो हकदार नहीं होते, उन्हें भी वक्त मिलता है, लेकिन करामात वही करते हैं जो इच्छुक होते हैं। इंतजार अधिक हो तो पीड़ा देता है, इसलिए सही समय पर पासा फेंकना चाहिए। यह पॉइंट बताता है कि सफलता इच्छाशक्ति पर निर्भर है, न कि सिर्फ अवसर पर। वक्त सबको मिलता है, लेकिन उसे ग्रहण करने की इच्छा होनी चाहिए, तभी जीवन बदलता है।
4. वक्त के चमत्कार और जीवन के सबक:-
कविता वक्त को चमत्कारी बताती है, जो गम की रेखा छोड़ जाता है या खुशी देता है। लोग दूसरों को गिराते हैं, लेकिन डटे रहने से हीरे की पहचान होती है। वक्त पासा फेंकता है – अहंकारी को निरुत्तर करता है, होनहार को सरताज बनाता है। जो दंभ में उड़ता था, उसे मोहताज बना देता है। यह खेल कब किसकी बाजी पलट दे, पता नहीं। कवि कहता है कि वक्त की पहचान अक्ल से होती है, अन्यथा हीरे बिखरे रह जाते हैं। यह पॉइंट सिखाता है कि जीवन में उतार-चढ़ाव वक्त लाता है, लेकिन धैर्य और समझ से हम मजबूत बनते हैं, और सबक सीखते हैं।
5. वक्त का न्याय और सदुपयोग:-
कविता में वक्त को सबसे बड़ा न्यायाधीश बताया गया है, जो ऊपर बैठा सब देखता है। गलत इस्तेमाल से अन्याय की बुनियाद न रखो, क्योंकि वक्त खुद को न्यायाधीश बनाने का मौका देता है। दोस्तों को अनमोल बातें कह दो, क्योंकि वक्त मिले न मिले। दो वक्त अपने लिए और दूसरों के लिए भी दो। यह पॉइंट जोर देता है कि वक्त का सदुपयोग नैतिकता और रिश्तों में करना चाहिए। वक्त बाजी हर कोई जीतना चाहता है, लेकिन न्यायपूर्ण तरीके से। यह हमें सिखाता है कि वक्त निष्पक्ष है, जो अच्छे कर्मों को पुरस्कृत करता है और बुरे को दंडित।
6. वक्त को समझना और खिलाड़ी बनना:-
कविता समापन में वक्त को जादू बताती है, जो समझने वाले के लिए जीवन वरदान है। लोग कहते हैं वक्त बलवान है। जीवन की दो बातें लिख लो: वक्त को पहचानो, इंतजार मत करो, जो करना है कर दो, जो कहना है कह दो। वक्त जोड़ता और बिछाड़ता है। यह एक साधारण इंसान की नहीं, स्वाभिमानी और खुद्दार इंसान की बात है। खेलना नहीं, खिलाड़ी बनना है। यह पॉइंट प्रेरित करता है कि वक्त का सदुपयोग करके जीवन को यादगार बनाओ, ताकि जमाना याद करे। इंतजार किस बात का? सक्रिय रहो और जीवन जीयो।
निष्कर्ष:-
यह कविता जीवन की गहराई को उजागर करती है, जहां वक्त मुख्य भूमिका निभाता है। मुख्य पॉइंट्स से स्पष्ट है कि जीवन बुनियादी जरूरतों से आगे तलाश, उपलब्धि और स्वाभिमान का है। वक्त की अनिश्चितता, कीमत और चमत्कार हमें सतर्क रखते हैं, जबकि इच्छाशक्ति और सदुपयोग से हम खिलाड़ी बनते हैं। अंततः, कविता का संदेश है कि वक्त को व्यर्थ न गंवाओ, इसे समझो और सार्थक बनाओ, क्योंकि यही जीवन को वरदान बनाता है। यह प्रेरणा देती है कि सक्रियता और नैतिकता से जीवन जीयो, ताकि पछतावा न हो।
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