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Sach Ki Talaash: Insani Mann Ki Gupt Ichchha

अनजान जगह से हम आये है, जाना है कहा
मानब बनकर आए है, सच को ना जाना,
मानब बनकर क्यू आए है इस प्रश्न से है हर कोई अनजान,
बहुत ही बिरल लोग करते है इस प्रश्न का समाधान।

मानब जन्म दुर्लभ है, कठिन है सच्चाई का रास्ते,
चले बहादुर करें खोज, रुके नहीं किसीके बास्ते।
सच्चाई से जीना, सच्चाई मे मर मिटना नहीं है आसान बात,
वह बहादुर जीता जागता उनके होते है जज़्बात।

सच्चाई का रास्ता नहीं है आसान, पल पल टूटना पड़ता है,
टूटना, जुड़ना आसान नहीं, वह बिरल ब्यक्ति होते है।
लाखो मे कोई एक होते है, करें सत्य की खोज,
वह बहादुर आत्म त्याग करें, नहीं करें कोई मौज।

सत्य की खोज करना आसान नहीं बार बार ठोंकर खाना पड़ता है,
वह बहादुर नहीं छोड़ते करते है सत्य की खोज।
मानब जन्म दुर्लभ है जो नहीं करते सत्य की खोज,
नाम उनके अमर होते है जो करते है सत्य की खोज।

जीबन की बधाय रुकाबट डालते है फिर भी नहीं रुकते उनके काम,
सच की खोयाईश रखनेवालो का बनते है उनके काम।
मानब जन्म पाकर जो नहीं जाते सच की दरबार,
मानब जन्म दुर्लभ है नहीं मिलते बारबार।

सत्य बड़ा अनमोल है, सत्य है बड़ा अजीब,
जो बोले सत्य बचन, वह ब्यक्ति बड़ा अनमोल है।
सच की राह मे चलनेवाले का जीबन बड़ा कठिन है,
जैसे ताराशे गये मूर्ति का कीमत होता है।

मेरा मन की अभिलाषा है सत्य की खोज करना है,
कौन है दृढ़ प्रतिज्ञा जो ये कह सके "मै हूँ कौन"
जीबन एक तपस्या है, जीबन है एक खोज,
बेहद दृढ़ प्रतिज्ञ मानब करें सत्य की खोज।

सत्य की खोज मे जीबन की बाजी वह लगाए,
जैसे गोताखोर समुद्र मे डुबकी लगाए।
सत्य की खोज एक कड़ी मेहनत है, कुछ ही लोग कर पाते है,
सत्य एक साधना है जो मन, बचन, कर्म से करने पड़ते है,
सत्य की अभिलाषा रखने वालो के लिए पहले पायदान है।

सत्य की बात करें सभी, सत्य के लिए लड़े सभी,
सत्य की खोज करें सभी, सत्य का ढोंग करें सभी,
सत्य का दिखाबा करें सभी, सत्य अमर, अजर है,
सत्य को समझने के लिए धीर बुद्धि होना चाहिए।
सत्य मानब मन मे छाये रहते है,
वह बुद्धिमान मानब प्रतिकूलताओं को भेद कर सत्य की खोज करते है।

सत्य की खोज मानव मन की गोपन अभिलाषा है,
हर कोई सत्य की खोज नहीं कर पाते हैं,
लाखो में कोई एक बहादुर, सत्य की खोज कर पाते हैं।
सत्य बड़ा निर्दयी है, बार-बार चोट करते हैं,
बड़ा हृदय रखने वाले ही सत्य के द्वार पहुंचते हैं।

सत्य की खोज एक अद्वितीय यात्रा है जो करते है महान लोग,
सत्य की खोज एक ज्ञान की परिभाषा है जो करते है बिद्वान लोग।
सत्य अति सुन्दर है, जो मन को सुन्दर बनाते है,
सत्य अति उत्तम ज्ञान है, जो अज्ञान की अंधेरा भगाते है।

सत्य की खोज एक संघर्ष है जो मानब मन की बिकारों से मुक्ति का द्वार खुलते है,
सत्य की खोज मे लगे इंसान, सच राह पकड़ते है।
सर्बपरी सत्य की खोज एक लक्ष है,
इस लक्ष को पाने के लिए हर किसीको प्रयास करना चाहिए।

मानब बनकर आए है, ये अनमोल समय है,
मै हूँ कौन इस प्रश्न की समाधान हर किसीको करना चाहिए,
जीबन का एक लक्ष है, हर किसीको सत्य की खोज करना चाहिए।

Ek soch mein dooba insaan ek roshni bhari raah par chalte hue, jo sach ki talaash aur insani mann ki gupt ichchha ko darshata hai

प्रस्तावना :-
“सच की तलाश, इंसानी मन की गुप्त इच्छा” इस कथन को पूरी तरह समझने के लिए हमें जीवन के उन पहलुओं पर बात करनी होगी, जो इंसान को एक सशक्त व्यक्तित्व बनने की प्रेरणा देते हैं। सच की तलाश मानव जीवन का ऐसा पर्याय है, जिस पर इस संसार का प्रत्येक व्यक्ति विचार करे। इसी लेख के माध्यम से हम यह भी जानेंगे कि मानव जीवन इतना महत्वपूर्ण क्यों है।

सुप्त इच्छा :-
मनुष्य का स्वभाव ही ऐसा है कि उसके मन में सदैव कोई न कोई सुप्त इच्छा रहती है। और इन इच्छाओं के साथ ही मन में अनेक प्रश्न भी उठते रहते हैं। इन सुप्त इच्छाओं को जागृत करना ही सच की तलाश की पहली सीढ़ी है। इच्छाओं का मन में आना सामान्य है, लेकिन उन इच्छाओं में दृढ़ होकर सच को खोजना और उसके साथ खड़े रहना एक बड़ी बात है।

मन में उठते प्रश्न :-
मनुष्य के मन में समय-समय पर आंतरिक या बाह्य विषयों को लेकर अनेक प्रश्न उठते रहते हैं। कई बार यही प्रश्न जीवन की लंबी यात्रा का निर्णय कर देते हैं। हर व्यक्ति के लिए हर परिस्थिति पर प्रश्न उठाना आसान नहीं होता। इन प्रश्नों में सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न यह होता है कि हम कौन हैं, कहां से आए हैं और मृत्यु के बाद कहां जाएंगे? या फिर ईश्वर कौन है, जिसने इस सृष्टि का निर्माण किया है?

सच के लिए मन बनाना :-
सच की तलाश जीवन की एक ऐसी यात्रा है, जिसमें सच के लिए मन बनाना अत्यंत चुनौतीपूर्ण कार्य होता है। सच के लिए मन बनाने हेतु दृढ़ संकल्प की आवश्यकता होती है। हर कोई यह नहीं जानता कि सच के प्रति समर्पित कैसे हुआ जाता है। सच को खोजना और उसे समझना एक कठिन तपस्या का मार्ग है, जो हर कोई नहीं कर सकता। इस मार्ग में अनेक परिस्थितियां मन को भटकाने के लिए बाधाएं उत्पन्न करती हैं।

सच के लिए संकल्प :-
इन बाधाओं को नजरअंदाज कर सच के लिए संकल्प लेना अत्यंत आवश्यक होता है। सच की तलाश में व्यक्ति को सच के लिए अडिग संकल्प लेना होता है। कई बार आंतरिक और बाहरी परिस्थितियां हमारे संकल्प को तोड़ने पर मजबूर कर देती हैं। किंतु परिस्थिति चाहे कैसी भी हो, संकल्प को अडिग रखते हुए आगे बढ़ना ही उचित होता है।

सच के लिए संघर्ष :-
सच की तलाश में व्यक्ति को सच के लिए संघर्ष भी करना पड़ सकता है। इस संघर्ष में हमें भीतर से अपने आप से लड़ना होता है, और बाहरी परिस्थितियों में लोग हमें भटकाने का प्रयास करते हैं। इन आंतरिक और बाहरी परिस्थितियों से लड़कर सच को खोजना बहुत कठिन कार्य होता है, यही कारण है कि अधिकतर लोग असफल हो जाते हैं। इसलिए सच की तलाश में इस संघर्ष को अडिग संकल्प के साथ लड़ना पड़ता है।

सच की इच्छा :-
सच की तलाश में तभी आगे बढ़ा जा सकता है जब हमारे मन में सच को जानने और समझने की प्रबल इच्छा अडिग संकल्प के साथ बनी रहे। हमारे मन में सदैव सच की इच्छा जागृत रहनी चाहिए। जब हम इन प्रतिकूल परिस्थितियों से संघर्ष कर सच की इच्छा को मन में बनाए रखते हैं, तब यह हमारे लिए वरदान सिद्ध होती है। इसलिए परिस्थिति चाहे कैसी भी हो, सच की इच्छा को कभी नहीं छोड़ना चाहिए और दृढ़ निश्चय के साथ आगे बढ़ते रहना चाहिए।

आत्मबोध :-
जब हमें यह बोध हो जाता है कि हम कौन हैं, कहां से आए हैं, कहां जा रहे हैं, और हम कर्म के बंधनों में क्यों बंधे हुए हैं, तो ये सभी प्रश्न सच की खोज की यात्रा में अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। आत्मबोध के माध्यम से हमें अपने सभी प्रश्नों के उत्तर मिलते हैं और हम अपनी वास्तविक स्थिति को समझ पाते हैं। जिसे आत्मबोध हो जाता है, वह बहुत उच्च कोटि का व्यक्ति बन जाता है। आत्मबोध प्राप्त व्यक्ति अत्यंत ज्ञानवान हो जाता है और ईश्वर के साक्षात्कार के अत्यंत निकट पहुंच जाता है।

ईश्वर साक्षात्कार :-
सच की तलाश की इस यात्रा में जब हम अपने ज्ञान की अंतिम चोटी पर पहुंचते हैं, तब हमें ईश्वर का साक्षात्कार होता है। केवल वही विरले लोग ईश्वर को देख पाते हैं, जो अत्यंत भक्ति और गुरु के मार्गदर्शन में तपस्या करते हैं। सच की तलाश में ईश्वर को जानना अत्यंत आवश्यक होता है।

सच से साक्षात्कार :-
सच की खोज में सच से साक्षात्कार का अर्थ है अपनी वास्तविक स्थिति को जानना। हम कहां खड़े हैं, हमारा वास्तविक जीवन क्या है, कौन से कर्म करने योग्य हैं और कौन से नहीं, कर्म क्या है, हम कर्मों में क्यों बंधे हुए हैं, कर्म और उसके फलों का क्या सिद्धांत है — इन सभी प्रश्नों के उत्तर प्राप्त करना ही सच से साक्षात्कार कहलाता है।

निष्कर्ष :-
सच की तलाश जीवन की एक ऐसी यात्रा है, जिसे अत्यंत भक्ति और बुद्धिमत्ता के साथ तय करना होता है। इस यात्रा को पूर्ण करने के लिए गुरु के मार्गदर्शन में अडिग निश्चय के साथ आगे बढ़ना पड़ता है। सच की तलाश में सफल होने के लिए व्यक्ति की मानसिकता अत्यंत उच्च कोटि की होनी चाहिए। साथ ही, चाहे कितनी भी आंतरिक और बाह्य लड़ाइयां क्यों न लड़नी पड़ें, व्यक्ति को पीछे नहीं हटना चाहिए और अपने लक्ष्य को पाने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए।

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