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Jivan Ki Dahalij Par: Jivan Ki Dard aur Lachilepan Ki Bich Ek Yatra

"जीवन की दहलीज पर: जीवन के दर्द और लचीलेपन के बीच एक यात्रा - संघर्ष, आशा और आत्म-खोज की प्रेरणादायक जीवन कहानी"

जिंदगी मे बहुत गम था,
खुद्दार ये जिंदगी मे बहुत कम था।
कभी यह जिंदगी किनारे पर खड़ा था,
कभी यह जिंदगी दहलीज पर खड़ा था।

आखिर किस से क्या रिश्ता था,
कौन किसका खबर लेता था,
जिंदगी है जो ऐसा मामला,
जो ना कभी सुलझता था।

अक्सर लोग खोज करते हैं जो हम दे नहीं पाए,
अक्सर लोग ढूंढा करते है जो हम दिखा नहीं पाए।
वह अच्छाई का सबूत क्या और हम अच्छा इसका सबूत क्या?
अक्सर लोग देखना चाहते हैं उस प्रमाणपत्र के रंग कैसा।

अक्सर लोग देखना चाहते हैं उस प्रमाणपत्र में लिखा है क्या,
अक्सर लोग कहां करते हैं वह आदमी कैसा,
जिंदगी है जो ऐसा कभी दहलीज पर खड़ा था।

सदियों ऐसे बीत गई, वह दिन ऐसे बीत गई,
वह रात ऐसे बीत गई, कशमकश जिंदगी है यह,
जो बात कभी ना सुलझता था।

राह ऐसे भटक गई, निशाना ऐसे चूक गई,
वह था अँधेरी रात, ग़मगीन था जिंदगी,
आया था वह सबेरा, देखा था वह उजाला,
दोवारा मै जन्म लिया, दोवारा मै लौट कर आया।

किसने मुझे देखा था, किसने मुझे समझा था।
ये इम्तिहान से भरा जिंदगी है,
कभी हसरत आती है, तो कभी दर्द आती है।

जिंदगी की राह मे मुश्किल से भरा सफर,
कोई तो मुझे देख रहा था, कोई हस रहा था,
कोई तरस रहा था, सवाल से घिरा ये मन,
सवाल पे सवाल करें जा रहे था।

ऐसा क्या कसूर था, ऐसा क्या गरूर था,
आसानी से हार ना मानने वाला ये मन,
कभी दहलीज पर खड़ा था।

दागदार मेरा जीबन था,
कोई मुझे समझ नहीं रहा था।
मै तो बहे जा रहा था लहरों की तरह,
कोई भी आ रहा था मुझे तकलीफ दे रहा था।

मौत से कई बार खेला हूँ,
कई बार कफन बंधा हूँ,
मुझे क्या मारोगे तुम,
मै तो कई बार मरकर जिन्दा लौट आया हूँ।

मौत से कई बार खेला हूँ,
बहुत नजदीक से मौत को देखा हूँ,
जूनून तो ऐसा था दोस्त,
जिंदगी को हसकर द्वाब पर लगाया हूँ।

हार का नशा ना मुझे डोल पाया,
गम ने मुझे तोड़ ना पाया,
जिंदगी ने सबक दिए,
कोमल दिलवाले के मै मोम की तरह हूँ
और पत्थर दिलवाले के लिए मै पत्थर की तरह हूँ।

हसता हुआ चिराग मै नहीं था,
किसी बड़े खानदान की वारिस भी नहीं हूँ,
मेरा कोई ओहदा भी नहीं था,
मै एक साधारण सा इंसान हूँ।

हर कोई मुझे धकेला है,
हर कोई मुझे तिरस्कार किया है,
जिंदगी का सफर मे मै बिलकुल अकेला हूँ,
कारण मै जीबन की दहलीज पर खड़ा हूँ।

जीबन की संघर्ष को बेखौफ़ होकर लड़ा हूँ,
जीबन की हर चुनौती की स्वीकार किया हूँ,
कभी हार, कभी जीत ये जीबन का हिस्सा है,
जीबन मे डर तो क्या मौत से भी दोस्ती किया हूँ।

जीबन की दास्तान मे हम चल दिए,
ना ओस्ताद ना चेला किए,
उबर खाबर रास्ते ना मुझे रोक ना पाई,
जूनून हो तो ऐसा गम मे भी छाती ठोक दिए।

जंग की नशा जूनून भर देता है,
खुदगर्ज इंसान को स्वाभिमान भर देता है।
लड़कर जितने का सुख आनंद भर देता है,
मेरे लिए तो ऐसा है दोस्त हारना और जितना बराबर हो गये।

जीबन की सुख से बंचित रह गये,
क्या यही मेरा पाप था जो दूसरे के लिए भलाई सोचे।

जिंदगी के परेशानी ने सबक दिए,
सब ने मुझसे मुँह फेर लिए,
किसी को मुझपर तरस ना आया,
दिलसे हम हारे है।

हिम्मत नहीं कर पाया,
जिल्लत से भरा जिंदगी,
लाखो के भीड़ मे मै किसी को खोज रहा हूँ
एक सच्ची जीबन देनेवाला खोज रहा हूँ।

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