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Insan Hai Patton Ki Tarah: Adhyatmik Drishtikon Ka Gehra Prabhav

आते है इंसान पत्ते कि तरह,
जाते है इंसान पत्ते कि तरह।
इंसान है पत्ते कि तरह,
बिखर जाये पत्ते कि तरह।

बनते है रिस्ता दो धागो मे,
एक टूट जाये तो दूसरे भी टूट जाय।
सदिओं पुरानी बात है ऐसा,
आज भी है जैसा कि तैसा।

हजारों महात्मा ने सन्देश दिए है ऐसा,
इंसान है पत्ते कि जैसा।
युगो युगो से रित चली आए,
जोड़ तोड़ कर रिश्ता बनाये।

कहे तरुबर सुनो भाई एक बात,
एक आता है एक जाता है यही है सचबात।
दोस्ती नाता सब फीका है,
समय के साथ सब जरुरत है।

रिश्ता नाता सब जोड़ा है,
समय के साथ सब मिले है।
मा का लाडला बेटा है,
पल मे वह छोड़ चले है।

अच्छा खासा पिंजरा छोड़ चले है,
माया मोह, रिश्ते नाते सब त्याग चले है।
यही बात ज्ञानिओ ने समझायें है,
इंसान पत्ते कि तरह है।

कुछ तो यहाँ लूट मचाये,
कुछ तो यहाँ शोर मचाये,
कुछ तो यहाँ साम्राज्य बनाये,
कुछ तो यहाँ अपना मर्जी चलाये,
सब रह गए धरा के धरा,
बहुतो का इच्छा रह गए अधूरा।

कोई तो यहाँ शान से जिए,
कोई तो यहाँ अपना नाम किए,
कोई तो ऐसा काम किए,
कई तीनो लोको मे नाम किए.

किसीने खूब मजे किए,
किसीने खूब राज चलाया
कोई तो अपना डंका बजाया,
कोई तो अपना इतिहास बनाया।

कोई तो ऐसा कांड किए,
दुनिया मे बहुत उथल पुथल किए
समझदार ने बहुत समझायें
इंसान है पत्ते कि जैसा।

किसीका मन मे घमंड भरे है
कोई तो बड़ा घमंडी बने है।
कोई तो बड़ा लालची बने है,
एक से बढ़कर एक भ्रस्टाचारि बने है।

बहुतो ने जाल बिछाया,
वह संसार मे अपना रुतबा दिखाया।
किसीने यहाँ धूम मचाये,
कोई तो यहाँ शाख बनाये।

कइयों यहाँ चक्रबर्ती सम्राट हुए,
बहुतो ने बहुत बड़ा मालदार हुए,
सब के सब यही के रह गये,
खाली हाथ आये थे खाली चले गये।

कई तो यहाँ गुलाम बनाये,
हजारों नौकर चाकर बनाये,
किसीको कुछ हाथ ना लगा,
लाखो करोड़ो ने गुलामी झेला,

संत, महात्मा ने बताये ऐसा,
इंसान है पत्ते कि जैसा।
जैसा पत्ते टूट जाते है जोड़ा ना लगे फेर
बैसा ही जो चले जाते है राखे ना कोई खेर।

"Spiritual perspective on human life compared to leaves – Manushya Patton ke Samaan hai: Adhyatmik Drishtikon ka Gehra Prabhav, Hindi philosophical concept image."

प्रस्तावना (Introduction):-

जीवन एक ऐसी यात्रा है जो अनजान रहस्यों और गुत्थियों से भरी हुई है। बहुत से लोगों ने इस यात्रा को समझने की कोशिश की है। मनुष्य एक पत्ते के समान है। इस ब्लॉग में, हम आत्मा की यात्रा को समझने की कोशिश करेंगे — यह कहाँ से आती है और कहाँ जाती है। मैं इसे आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखूँगा और जीवन के रहस्य को जानने का प्रयास करूँगा। हम इस बात पर भी चर्चा करेंगे कि महापुरुषों का यह कथन कि मनुष्य पत्ते के समान है, वास्तविक जीवन में कैसे सिद्ध होता है।


जीवन की हवा (Wind of Life):-
जैसे पेड़ों पर असंख्य पत्ते उगते हैं और फिर गिर जाते हैं, वैसे ही मनुष्य भी जीवन की हवा में पत्तों की तरह बहते रहते हैं। वे कहाँ से आते हैं और कहाँ चले जाते हैं? सीमित समय में सब कुछ अनुभव कर लेने के बाद मनुष्य भी एक पत्ते की भाँति विलीन हो जाता है। उनकी ओर कोई ध्यान भी नहीं देता। जैसे पेड़ पर असीमित पत्ते होते हैं, वैसे ही इस पृथ्वी पर असंख्य मनुष्य जन्म लेते हैं। लेकिन जीवन की इस हवा में कौन किसका ध्यान रख पाता है? कौन कहाँ क्या कर रहा है, और फिर कहाँ चला जाता है — यह रहस्य ही बना रहता है।

जीवन की यात्रा (Journey of Life):-
जीवन एक अवर्णनीय यात्रा है। हम इस यात्रा के बारे में कुछ भी निश्चित भविष्यवाणी नहीं कर सकते। क्योंकि जीवन की यह यात्रा हर व्यक्ति के लिए अलग होती है। कुछ के लिए यह अत्यंत सुखद होती है, तो कुछ के लिए यह बहुत पीड़ादायक। यह यात्रा कई बार अप्रत्याशित होती है — जो होना चाहिए था, वह नहीं होता और जो नहीं होना चाहिए था, वही हो जाता है। कुछ लोग सफलता की सीढ़ी चढ़ जाते हैं, वहीं कुछ असफल हो जाते हैं। अधिकांश लोग अपना जीवन व्यर्थ बिताते हैं, लेकिन कुछ ही लोग ज्ञान अर्जित कर नाम और प्रसिद्धि कमाते हैं।

आत्म-परिचय (Self-Introduction):-
जीवन की इस यात्रा को भली-भांति समझने के लिए आत्म-परिचय आवश्यक है। आत्म-परिचय होने के बाद ही हम दूसरों को समझ पाते हैं। इसके लिए एक मार्गदर्शक की भी आवश्यकता होती है। आत्म-परिचय से ही यह गहराई से ज्ञात होता है कि मनुष्य कहाँ से आया है और कहाँ जाएगा। आत्म-परिचय से व्यक्ति के उद्देश्य, सोच और व्यवहार में बदलाव आता है।

ईश्वर से परिचय (Introduction to God):-
ईश्वर से परिचय मानव जीवन का एक गहरा और आध्यात्मिक विषय है। ईश्वर से परिचय होने पर मनुष्य अपने वास्तविक लक्ष्य के प्रति जागरूक होता है, जिसके लिए एक ज्ञानी गुरु की आवश्यकता होती है। ऐसा गुरु आध्यात्मिक प्रगति के लिए सदैव सहयोग की भावना रखता है और ईश्वर तक पहुँचने के लिए एक पुल की भाँति कार्य करता है। मनुष्य जहाँ तक पहुँचता है, वह उसके कर्मों पर आधारित होता है।

परिवर्तन की क्षमता (Ability to Change):-
मनुष्य पत्ते के समान है। इस ब्लॉग के अनुसार, अधिक आत्मविश्वास मनुष्य को किसी भी परिस्थिति को बदलने की क्षमता देता है। परिवर्तन करने की यह शक्ति किसी भी स्थिति को बदल देती है। यह क्षमता नए अनुसंधानों के द्वार खोलती है और मनुष्य को नई ऊर्जा से भर देती है।

आत्मा का अनुभव (Experience of the Soul):-
मनुष्य में आत्मा को समझना और उसका अनुभव करना एक अत्यंत गहरा विषय है। सभी मनुष्य अलग-अलग व्यवहार करते हैं और सबकी इच्छाएँ, आकांक्षाएँ और अनुभव भिन्न-भिन्न होते हैं। जैसे-जैसे मनुष्य परिपक्व होता है, वैसे-वैसे उसकी आत्मा का अनुभव भी गहरा होता जाता है। आत्मा के अनुभव के कारण ही मनुष्य आध्यात्मिक जीवन में प्रगति करता है।

अनुभव का महत्व (Importance of Experience):-
मानव जीवन के हर विषय में अनुभव का विशेष महत्व होता है। अनुभव के बाद ही हम समझ सकते हैं कि मनुष्य कहाँ से आता है और कहाँ चला जाता है। विद्वानों के अनुभव को विशेष सम्मान दिया जाता है। यह समझने के लिए कि वास्तव में मनुष्य एक पत्ते के समान है, विद्वानों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।

प्राकृतिक नियम (Natural Law):-
प्रकृति द्वारा बनाए गए नियम हमेशा से मानव जीवन में लागू होते आए हैं। जन्म और मृत्यु का यह नियम आज तक कोई तोड़ नहीं सका। प्राकृतिक नियम मानव जीवन में दृढ़ता से लागू रहता है। किसी को भी इसे तोड़ने की हिम्मत नहीं करनी चाहिए। जिन्होंने भी ऐसा करने की कोशिश की, उन्होंने इसके बहुत बुरे परिणाम भुगते।

आत्मा का समर्पण (Surrender of Soul):-
मनुष्य पत्ते के समान है — यह वास्तविक सत्य मानव जीवन में लागू होता है। इसलिए हम सबमें समर्पण की भावना होनी चाहिए। सबसे पहले हमें यह समझना चाहिए कि हम सब आत्माएँ हैं। जितना अधिक समर्पण होगा, उतनी ही अधिक जिम्मेदारी हम घर, परिवार, देश और समाज के प्रति निभा पाएँगे। एक बेहतर देश और समाज बनाने के लिए समर्पित लोगों की बहुत आवश्यकता है।

निष्कर्ष (Conclusion):-
मनुष्य वास्तव में पत्तों के समान है। इस ब्लॉग से हमें ज्ञात होता है कि मनुष्य अपने जीवन में अनेक जिम्मेदारियाँ निभाता है, अनुभव प्राप्त करता है और अंततः इस संसार से विदा हो जाता है। जैसे पेड़ के पत्तों पर कोई ध्यान नहीं देता, वैसे ही मृत्यु के बाद किसी मनुष्य पर ध्यान नहीं दिया जाता। जीवन की इस यात्रा में हम सुख-दुःख, सफलता-असफलता सबका अनुभव करते हैं।

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