मैं एक योद्धा हूं नामहीन गांव के निवासी हूं,
जमीन से जुड़ा हुआ हूं, मै एक साधारण इंसान हूँ।
जीबन की संघर्ष मे झूझते आगे बढ़ना जंग से कम नहीं,
हर दिन की संघर्ष मे हौसला को बढ़ करार रखना ये भी आसान नहीं।
जमीन से जुड़ा हुआ हूं, मै एक साधारण इंसान हूँ।
जीबन की संघर्ष मे झूझते आगे बढ़ना जंग से कम नहीं,
हर दिन की संघर्ष मे हौसला को बढ़ करार रखना ये भी आसान नहीं।
मैं एक योद्धा हूं, जीवन की हर बाजी बेखौफ होकर लड़ता हूं,
अन्याय की गलियारा को मिटाना मेरा काम है,
जीवन की हर गली को परखना मेरा काम है,
जीवन की हर अन्याय को मिटाना मेरा काम है,
जीवन को अंधकार से प्रकाश की ओर लाना मेरा काम है,
जीवन को तरास कर सुंदर बनाना मेरा काम है,
मैं एक योद्धा हूं सबके लिए जीना मेरा काम है।
मै एक योद्धा हूँ, जीबन की हर गली को घूमकर आया हूँ,
देखा हूँ करीब से जीबन की अंतिम बिंदु को,
देखा हूँ करीब से जीबन की अंतिम रूप को,
समझा हूँ करीब से जीबन की अंतिम इच्छा को,
जीबन ये तौफा देता है, जीबन एक प्रयोगशाला है,
जो भी जो बनना चाहते है, वह बो बन सकते है।
मै एक योद्धा हूँ, देखा हूँ बिचारो के गलियारों को,
जहाँ बिचार मर जाते है, लोलुपता जहाँ दम्भ भरते है,
नई सृजन शक्ति जहाँ लुप्त होते है, जहाँ बिस्वास कम होते है,
जहाँ स्वाधीनता मौन होते है, जहाँ अंध मानसिकता हाबी होते है,
दम घुटता है आजाद खयाल और बिचारो की,
एक नया बिचारो की क्रांति लानेवाला मै वह योद्धा हूँ।
मै एक योद्धा हूँ, जीबन की अहंकार को देखा हूँ,
जहाँ अंधकार को हाबी करने के लिए हर एक हथकंडे अपनाए जाते है,
जहाँ नहीं होते है नैतिकता, बिबेक और न्याय,
जहाँ मर जाते है लाज और शर्म, जहाँ जहालत की कोई सीमारेखा नहीं।
मूर्खता हदे जहाँ पार होती है, ऐसे स्तिथि से बचकर निकलना ये भी युद्ध से कम नहीं।
मै एक योद्धा हूँ, जीबन की रंगीन राज को देखा,
जीबन की गहरा राज को समझा, जीबन की भूल को देखा,
जीबन की ओसूल को जाना, जीबन कभी उतार और चढ़ाब से गुजरता है,
जीबन की कठोर सत्य और असत्य को जाना,
असफलता और सफलता से गुजरकर उस मुकाम को देखा,
जीबन एक राज है बारबार परीक्षा देना पड़ता है।
मैं एक योद्धा हूं, जीबन की सुंदर चित्र को देखा है,
जीवन की एक सुंदर चित्र बनाया, जीवन को सुंदर बनाएं,
उस चित्र मे अंकित है जीबन युद्ध की कहानी,
जीबन ने बारबार ललकारा है, हौसला ये बनाए रखा,
जीबन ने बारबार सिखाया है, हौसला ही कामियाबी का मन्त्र है।
मै एक योद्धा हूँ, जीबन की हर दौर को देखा,
जीने का संघर्ष को देखा, जीबन की कीमत को जाना,
जीबन की कामियाबी के रास्ते हर कठिनता को सरल बनाया,
जीबन की संघर्ष ने ये जज्बा जगाया,
जीबन ने ये शिक्षा दिए, रुक जाना नहीं कही हारके,
चलते जाना, गिरना, उठना जीबन का ये बड़ा मन्त्र है।
मै एक योद्धा हूँ, सीखा हूँ मै जीबन मे जीतने की कला,
सरलता से जीता हूँ मै, सोचता हूँ मै सबकी भला।
जीबन की गणित को मै समझकर आया,
भागा, गुना, बियोग और योग करके पाया,
जीबन की खेल का मैदान मे खेलकर आया,
और जीबन की जंजीर को मै तोड़कर आया।
मिट्टी को रोंदकर सिंचन किया, इस मिट्टी से फसल उगाया,
इस भूमि से प्यार किया, इस भूमि ने पाला है हमे,
इस भूमि के लिए सबकुछ अपना उजाड़ दिए,
मै एक योद्धा हूँ, जीबन की हार और जीत को देखा,
हार को जीत मे बदलते देखा, जीबन जीने का उद्देश्य को देखा।
मै एक योद्धा हूँ, जीबन की युद्ध मे लड़कर देखा,
घायल होकर भी जीबन की द्वाब चालके देखा,
जीबन को मै तराशकर कर देखा, हर चुनौती पार करके देखा,
हर संघर्ष के बाद जीबन को मै आबिष्कार करके देखा,
जीबन को मै एक तरताज़ा और नए सिरे से पाया।
मै एक योद्धा हूँ, यह ना केबल शब्द मे,
जीबन की सफर करनेवाला आत्मा मे असीम साहस भरनेवाला एक योद्धा हूँ,
समय के साथ संघर्ष करता हुआ मै ज्ञान का भंडार हूँ।
मैं एक योद्धा हूं, वीर और उत्साही,
अपनी भूमिका में बिस्वासी रहकर हमेशा प्रेरणा की स्रोत बनकर दिया हूं मैं।
संघर्ष के समय मैंने सीखा यह सामर्थ्य,
कभी नहीं सोचा हार मानने की बात,
हर चुनौती को गले लगा कर दिखाया अपना समर्थ।
विरासत में मेरी शान और है बिरता का जज्बा, धैर्य से भरा संगठित रहकर,
जीवन की प्रत्येक मोड़ पर आगे बढ़ता हुआ हर मुश्किल को स्वीकारा।
मै एक योद्धा हूँ, वीरता का संग्राम मेरा जीवन का उद्देश्य,
मेरा युद्ध नहीं बस शास्त्रों का, विचारों का भी है,
जीवन में उच्चतम ऊंचाइयों को छूने की लगन,
मुझको वीरता ने दिया सबसे बड़ा उपहार।
मैं एक योद्धा हूं वीर और उत्साही, सच्चाई और धैर्य के साथ मैं हूं सदैव बिजयी।
परिचय:-
मैं एक योद्धा हूँ। इस ब्लॉग पोस्ट में हम जीवन के उन सभी पहलुओं पर बात करेंगे जो संघर्ष के माध्यम से जीवन को सुधारते हैं और सफलता तक पहुँचाते हैं। हम यह भी चर्चा करेंगे कि संघर्ष के माध्यम से कैसे एक योद्धा बना जा सकता है। संघर्ष के दौरान व्यक्ति का अपना अनुभव विशेष महत्व रखता है। आज हम युद्ध के मैदान में उतरकर युद्ध तो नहीं कर सकते, पर हम अपने और समाज के कल्याण के लिए योद्धा बनकर योगदान ज़रूर दे सकते हैं।
मैं एक योद्धा हूँ। इस ब्लॉग पोस्ट में हम जीवन के उन सभी पहलुओं पर बात करेंगे जो संघर्ष के माध्यम से जीवन को सुधारते हैं और सफलता तक पहुँचाते हैं। हम यह भी चर्चा करेंगे कि संघर्ष के माध्यम से कैसे एक योद्धा बना जा सकता है। संघर्ष के दौरान व्यक्ति का अपना अनुभव विशेष महत्व रखता है। आज हम युद्ध के मैदान में उतरकर युद्ध तो नहीं कर सकते, पर हम अपने और समाज के कल्याण के लिए योद्धा बनकर योगदान ज़रूर दे सकते हैं।
आत्म-पहचान:-
मैं एक योद्धा हूँ। इस ब्लॉग पोस्ट में, एक योद्धा को स्वयं को पहचानना आवश्यक है। वैसे भी अपनी पहचान और अपनी वास्तविक स्थिति को पहचानना कठिन नहीं होता। आप अपने प्रत्येक कार्य का मूल्यांकन करके स्वयं को पहचान सकते हैं। जब हम स्वयं को पहचान लेते हैं, तब हम किसी भी संघर्ष में मजबूती से लड़ सकते हैं। असफलता का एक बड़ा कारण खुद को न पहचान पाना होता है। जो कोई भी सफलता प्राप्त करना चाहता है, उसके लिए सबसे ज़रूरी है कि वह अपनी पहचान ढूंढ़े।
आत्मविश्वास की पहचान:-
एक योद्धा बनने या संघर्ष के माध्यम से जीवन को सुधारने के लिए आत्मविश्वास की पहचान सबसे महत्वपूर्ण है। आत्मविश्वास की पहचान किसी भी संघर्ष की दिशा बदल सकती है। आत्मविश्वास जीवन की वह शक्ति है, जिसे जब कोई व्यक्ति अपने अंदर बना लेता है, तो उसे हराना लगभग असंभव हो जाता है। आत्मविश्वास जीवन में ऊर्जा का काम करता है, जो संघर्ष के दौरान जीवन को आगे बढ़ाने में मदद करती है।
आत्मविश्वास:-
मैं एक योद्धा हूँ। इस पाठ में, एक योद्धा बनने के लिए आत्मविश्वास जीवन के किसी भी मोड़ को पार कर सकता है। आत्मविश्वास जीवन की वह शक्ति है, जिसे जो लोग एक बार पा लेते हैं, उनके लिए कोई सफलता दूर नहीं रहती। आत्मविश्वास जीवन का वह मज़बूत स्तंभ है, जिस पर हम आगे बढ़ते हैं। आत्मविश्वास जीवन को सुधारने में बड़ी भूमिका निभाता है।
आत्म-परिचय:-
"मैं एक योद्धा हूँ" इस कथन को पूर्ण करने में आत्म-परिचय का विशेष महत्व है। आत्म-परिचय संघर्ष को मज़बूती देता है। आत्म-परिचय शक्ति का भी प्रतीक है। आत्म-परिचय जीवन की वह नींव है जो एक योद्धा को उत्कृष्टता की चरम सीमा तक पहुँचाती है। आत्म-परिचय एक योद्धा के लिए जीवन की कुंजी है। संघर्ष के माध्यम से जीवन को सुधारने के लिए आत्म-परिचय को समझना ज़रूरी है।
आत्म-मूल्यांकन:-
"मैं एक योद्धा हूँ" इस लेख को पूरा करने या योद्धा बनने के लिए, हमेशा स्वयं का मूल्यांकन करना आवश्यक है। क्योंकि जब हम स्वयं का मूल्यांकन करते हैं, तब हमारी वास्तविक स्थिति का पता चलता है। वैसे भी, हर किसी को स्वयं का मूल्यांकन करना चाहिए। जीवन में वास्तविक सुधार तभी संभव है जब हम अपने हर कार्य का मूल्यांकन करें। संघर्ष जीवन में वह अवसर है जो स्वयं को योद्धा बनने के लिए मूल्यांकित करने का मौका देता है।
समाज में प्रतिष्ठा की लड़ाई:-
इस लेख में, "मैं एक योद्धा हूँ" के रूप में, समाज में प्रतिष्ठा के लिए लड़ना पड़ता है। समाज में प्रतिष्ठा के लिए लड़े बिना योद्धा का जीवन पूर्ण नहीं हो सकता। यानी, योद्धा बनने के लिए समाज में प्रतिष्ठा की लड़ाई लड़नी ही पड़ती है, चाहे वह व्यक्ति चाहे या न चाहे। समाज में मान्यता पाने या समाज में सुधार के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई लड़नी पड़ती है।
न्याय की प्रतिष्ठा की लड़ाई:-
संघर्ष के दौरान "मैं एक योद्धा हूँ" इस कथन को पूर्ण करने के लिए न्याय की गरिमा की लड़ाई को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। न्याय की प्रतिष्ठा की लड़ाई लड़ना एक योद्धा के लिए स्वाभाविक व्यवहार बन जाता है। समाज में किसी न किसी के साथ अन्याय होता रहता है। योद्धा बनने के लिए, जितना संभव हो सके न्याय की गरिमा के लिए लड़ना चाहिए। केवल विशेष गुणों वाले लोग ही न्याय की प्रतिष्ठा की लड़ाई लड़ सकते हैं।
सामाजिक बुराइयों के विरुद्ध संघर्ष:-
समाज में रहते हुए एक योद्धा सामाजिक बुराइयों के खिलाफ लड़ता है, जो "मैं एक योद्धा हूँ" इस कथन की भूमिका को पूर्ण करता है। सामाजिक बुराइयाँ समाज को पीछे धकेलती हैं, लेकिन एक योद्धा बुराइयों से लड़कर समाज को आगे ले जाता है और खुद को योद्धा के रूप में स्थापित करता है। सामाजिक बुराइयाँ समाज को भीतर से खोखला करती हैं, लेकिन एक योद्धा उन्हें सुधारने के लिए संघर्ष करता है।
सद्भावना के लिए संघर्ष:-
समाज में आपसी सद्भाव की कमी एक बड़ी समस्या है। सद्भाव की कमी के कारण समाज और देश विखंडन की ओर बढ़ते हैं। ऐसी स्थिति में, "मैं एक योद्धा हूँ" साबित करने के लिए सद्भावना के लिए लड़ना पड़ता है। सद्भावना के लिए लड़ना कोई सामान्य बात नहीं है; विशेष प्रतिभाशाली लोग ही नेतृत्व क्षमता को सुधारने या समाज और देश को एकजुट रखने के लिए यह लड़ाई लड़ते हैं।
सत्य की स्थापना के लिए संघर्ष:-
इस लेख में, "मैं एक योद्धा हूँ" — एक सच्चा योद्धा बनने के लिए सत्य की स्थापना के लिए लड़ना सबसे ज़रूरी है। सत्य की स्थापना के लिए लड़ाई कोई सामान्य लड़ाई नहीं होती; इसमें योद्धा का जीवन दांव पर लग जाता है। विभिन्न प्रतिकूल परिस्थितियों को पार करके सत्य की स्थापना करना ही एक योद्धा बनने की असली परीक्षा है। सत्य की स्थापना के लिए संघर्ष जीवन को सुधारने का सर्वोत्तम प्रयास है।
आदर्श पर डटे रहना:-
"मैं एक योद्धा हूँ" इस कथन को पूर्ण करने के लिए एक योद्धा आदर्शविहीन नहीं हो सकता। वैसे भी, सामान्य लोगों के पास कोई आदर्श नहीं होता, लेकिन एक योद्धा या विशेष नेता बनने के लिए आदर्शों पर डटे रहना पड़ता है। बिना आदर्श वाला व्यक्ति कभी समाज या देश का नेतृत्व नहीं कर सकता। सामान्य लोग संघर्ष के दौरान आदर्श से भटक जाते हैं, जबकि असाधारण लोग आदर्श पर डटे रहकर अपना नाम अमर कर देते हैं।
क्षेत्र से परिचित होना:-
किसी भी क्षेत्र से परिचित होना आसान बात नहीं है। इस पहचान को पाने के लिए एक योद्धा को लंबे संघर्ष से गुजरना पड़ता है। "मैं एक योद्धा हूँ" इस कथन को पूर्ण करने के लिए एक योद्धा को अपने क्षेत्र से परिचित होना पड़ता है। जब एक योद्धा पहचान प्राप्त करने के बाद नाम और प्रसिद्धि के शिखर पर पहुँचता है, तब वह अपने जीवन को सुधारने की चोटी पर पहुँचता है। दुनिया में कई लोग संघर्ष के माध्यम से परिचय प्राप्त करके जीवन को सुधारने के शिखर तक पहुँचे हैं। ऐसे लोग जिन्होंने दुनिया में विशेष योगदान दिया है, वे अपने क्षेत्र में विशेषज्ञता प्राप्त करने के बाद ही पहचाने गए हैं।
निष्कर्ष:-
मैं एक योद्धा हूँ। इस ब्लॉग पोस्ट के अंत में हमें यह शिक्षा मिलती है कि योद्धा बनने के लिए हमें उन सभी संघर्षों के बाद आगे बढ़ना होता है। एक योद्धा कभी संघर्ष को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकता। और एक योद्धा आदर्श को प्राथमिकता देकर आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ता है। इसके अलावा, अपने कार्यों का मूल्यांकन करके और जीवन को सुधारते हुए, वे शीर्ष स्थान प्राप्त करते हैं।
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