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Hum Shanti Chahte Hain, Yudh Nahi: Yudh ki Peedaadayak Sthiti Se Ek Kadam Ki Shanti Ki Ore

हम शांति चाहते हैं, युद्ध नहीं:
युद्ध की पीड़ादायक स्थिति से एक कदम की शांति की ओर।
सोचा था कुछ बाते लिखा जाय,
इंसानियत का पहल किया जाय।

संसार को शांति का सन्देश दिया जाय,
इंसानियत को जिन्दा किया जाय।
युद्ध का बिगुल बज चुकी है,
रणभूमि सज चुकी है।

चारो ओर शोर मची है,
इधर उधर भागदर मची है।
कहा किसके जान बची है,
किसके लिए किसीका फिकर बची है।

जान इतना सस्ता हो गए,
एक दूसरे का दुश्मन हो गए।
कातारों मे लोग मर गए,
हज़ारो अनाथ हो गए।

साहारा का बेसहारा हो गए,
सुन्दर ये शहर खंडहर बन गए।
वह प्यारा जमीन खून से लाल हो गए,
वह जमीन युद्धभूमि बन गए।

इंसान से इंसान लड़ते गए,
युद्ध कि बिभिसीखा बढ़ते गए।
इंसानियत का हत्या होते गए,
कोई भी मसीहा नही आए।

बिबेक उनके मर गए,
वह लोग युद्ध पीपासु बन गए।
सृष्टि को नस्ट करने मे लगे हुए है,
वही लोग इंसानियत का दुश्मन बने है।

सभी ने उलझ पड़े है,
एक दूसरे को पिट रहे है।
जीबन का प्रदीप बुझा रहे है,
चारो ओर आग लगी है।

युद्ध के खिलाफ बोलेगा कौन?
युद्ध को रोकेगा कौन?
आपसी बिबाद मिटाएगा कौन,
भाईचारा का सन्देश देगा कौन।

आपसी बिबाद मिटाना चाहिए,
शांति का सन्देश देना चाहिए।
शांति का सन्देश देगा कौन,
इंसानियत को बचाएगा कौन?

शांति का कबूतर उड़ाएगा कौन,
शांति का मसीहा बनेगा कौन।
सुन्दर ये धरती बचाना चाहिए,
सभी को एक सूत्र मे कहना चाहिए।

युद्ध नही शांति चाहिए,
युद्ध नही शांति चाहिए,
युद्ध नही शांति चाहिए।

"Chitran jisme war se peace ki taraf badlav dikhaya gaya hai, upar soldier war me aur neeche woman haath me dove liye peace ka symbol dikhati hai."

परिचय:-
हमें शांति चाहिए, युद्ध नहीं; युद्ध समाज की सच्चाई है। इस ब्लॉग पोस्ट में हम बात करेंगे कि कैसे समाज को युद्ध के द्विविधा से निकाला जाए और शांति व भाईचारे की ओर बढ़ाया जाए। युद्ध एक भयानक पाठ है; हमें ऐसी शांति चाहिए जो केवल सीमाओं को पार न करे, बल्कि दिलों को दिलों से जोड़ दे।

युद्ध का असली अर्थ:-
हमें युद्ध का असली अर्थ और उद्देश्य समझना होगा, चाहे वह बुराई की शक्ति के खिलाफ जीत के लिए सीमाओं का विस्तार हो या बेहतर समाज का निर्माण। युद्ध के लिए लोग शांति की बातें भूल जाते हैं; एक मजबूत और सहिष्णु समाज बनाने के लिए शांति के उपाय नहीं भूले जाने चाहिए। अब तक किसी भी युद्ध ने समाज के लिए लाभ नहीं दिया, फिर भी युद्ध लड़ना पड़ता है। हमें युद्ध से जितना हो सके बचना चाहिए।

युद्ध के भयावहता:-
किसी भी मकसद के लिए लड़ा गया युद्ध कभी शांति का संदेश नहीं देता। अब तक युद्ध ने मानवता को दुख और त्रासदी ही दी है। कई देशों, समाजों और परिवारों का विनाश हुआ है। कई सभ्यताएं समाप्त हो गई हैं। युद्ध मानवता के लिए भयानक संकट लेकर आता है। युद्ध के भय से कोई भी युद्ध की शुरुआत नहीं करे।

शांति की मांग:-
शांति की मांग करना हमारा अधिकार है। दुनिया का हर बुद्धिमान इंसान शांति की मांग करे। आध्यात्मिक विकास, मानव समाज की प्रगति, और राष्ट्रों के बीच शांति के लिए शांति की मांग होनी चाहिए। रणनीतिक, सांस्कृतिक और सार्वजनिक विकास के लिए भी शांति की मांग जरूरी है। सर्वांगीण विकास के लिए हमारे अंदर भी शांति होनी चाहिए।

शांति का संदेश:-
युद्ध या त्रासदी के बाद मानव समाज में कईयों ने शांति का संदेश दिया है। शांति का संदेश मनुष्यों के मन पर असर करता है या नहीं, लेकिन यह परेशान हाल स्थिति को कुछ हद तक शांत करता है। त्रासदी या युद्ध को रोकने के लिए शांति का संदेश देना जरूरी है। मानव समाज को नयी दिशा केवल शांति के संदेश से ही मिलती है।

शांतिपूर्ण विकास की आगे की यात्रा:-
युद्ध और त्रासदी के बाद सच्चा विकास शांति, समृद्धि और मानव हृदय की ऊँचाइयों से होता है। एक खुशहाल और संतुलित समाज मानव विकास का सकारात्मक परिणाम है, जो शांतिपूर्ण विकास की ओर संकेत करता है। एक सुंदर, समृद्ध मानव समाज समृद्धि, शिक्षा और सामाजिक समानता के मूल्यों पर आधारित होना चाहिए। शांति से विकास की यात्रा खुशहाल और समृद्ध समाज के लिए प्राथमिकता है।

विश्व में शांति की ओर कदम:-
हमें एक ऐसी दुनिया की कल्पना करनी चाहिए जहाँ शांति केवल दो देशों के बीच नहीं, बल्कि पूरे मानव जाति के लिए हो। सुंदर और समृद्ध भविष्य के लिए सहयोग, समर्थन और समर्पण को बढ़ावा देना चाहिए। आज की प्रतिकूल स्थिति में विश्व में शांति की आशा कम हो रही है। सभी शुभचिंतक लोगों को शांति बनाने की कोशिश करनी चाहिए।

सकारात्मक भावना को बढ़ावा देना:-
मानव समाज की सामूहिक प्रगति में सकारात्मक भावना महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। सकारात्मक भावना समाजिक असमानता को भी दूर करती है। सकारात्मक भावना सामाजिक एकता बढ़ाती है और शांति का संदेश देती है। सामूहिक विकास और सामाजिक सद्भाव बनाए रखने के लिए सकारात्मक भावना को बढ़ावा देना चाहिए। शांति के लिए जुटने वाली अच्छी भावनाओं को प्रोत्साहन देना चाहिए, ताकि जिनमें कुछ कमियां हों, वे समझ सकें कि शांति के लिए अच्छी भावना जरूरी है। अच्छी भावनाएं समाज को पीछे नहीं ले जातीं।

आपसी विवादों का समाधान:-
समृद्ध और सशक्त समाज बनाने के लिए कलह को दूर करना और भाईचारे को बढ़ावा देना चाहिए। आपसी विवादों को भुलाकर ही हम शांति का संदेश दे सकते हैं। मानव हृदय की गहराई को छूने के लिए आपसी कलह खत्म करनी चाहिए और भाईचारे को बढ़ाना चाहिए। सामूहिक शांति के लिए युद्ध की भावना को त्यागना होगा और आपसी कलह का अंत करना होगा।

निष्कर्ष:-
आज के समय में किसी भी परिस्थिति में युद्ध पर विचार नहीं करना चाहिए। युद्ध केवल विनाश लाते हैं। शांति की मांग करना हम सभी की जिम्मेदारी है। शांति एक मजबूत और जागरूक समाज के विकास की कुंजी है। हमें सबको मिलकर एक समृद्ध और शांतिपूर्ण भविष्य बनाना चाहिए। हमें शांति चाहिए, युद्ध नहीं। यह सत्य सबको समझना चाहिए ताकि हम सभी एक समृद्ध और सुखी भविष्य की ओर बढ़ सकें।

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