Subscribe Us

header ads

Top Videos

header ads

Adhura Prem: Ek Anakahi Kahani

कभी कभी जीबन मे अनचाहा बारदात हो जाते है,
ना चाहते हुए भी कभी पटकथा लिखें जाते है,
उस पटकथा मे हीरो तो होते है, लेकिन हीरोइन बेबफा होते है,
ऐसा एक पटकथा है मेरा, अधूरा प्रेम: एक अनकही कहानी।

कभी कभी जिंदगी धोखा देता है,
कभी ये अहसास करा देता है,
कभी ख़ुशी कभी गम भुला देता है,
हमने अधूरा प्रेम करके देखा है।
ऐसे एक कहानी का किरदार हमने निभाया है,
जीबन मे प्रेम का घाब क्या है, वह हम पाकर देखा है।

कल्पना से परे कल्पना किया था,
उसके खूबसूरती के दीवाना बना था,
क्या सुबह और क्या शाम वह ख़याल आने लगा था,
अजीब तरंग मे हम मदहोस होने लगा था,
उसको देखे हम अजीब नशा मे डूबने लगा था।

हम है भोला, भोला मन हमारा,
सपना ये हम देखने लगा,
भरा ये महफिल मे उसके हम तस्वीर देखने लगा,
मदहोशी मे रात मेरा बीतने लगा,
वह हरदिन सपने मे आने लग।

उसके चेहरे की खूबसूरती मुझे मोहित करने लगा,
मंद मंद मुस्कान मे वह मुझे कुछ कहने लगा,
उसके आँखो की भाषा हम पर छाने लगा,
हम है प्रेम की भिखारी, जीबन मे रौनक आने लगा।

जिंदगी की गमों मे हम उसे भूल ना पाया,
हर चेहरे पर उसके तस्वीर हम देखने लगा,
कोई कोई ये कहने लगा, ये है की प्रेम रोगी,
अजीब है वो प्रेम का नशा वह हम कह ना पाया।

खिलखिलाती हासि उसके मेरा नींद, चैन छीनने लगा,
चाँद की रौशनी उसके आगे फीका पड़ने लगा,
ख़याल पे ख़याल आने लगा था,
हमारी बाहो मे वह आहे भरने लगा था।

एक खूबसूरत तस्वीर उसकी आकि थी,
साथ साथ जीने की आश जगी थी,
समय मे मै कुछ कह ना पाई,
अधूरा प्यार मेरा, अधूरा रह गई।

सुबह शाम देखता था उसे,
सुन्दर वह लगने लगा मुझे,
मन मे मेरा खोयाब जगने लगा,
उम्मीद के किरण देखने लगा,

देखते देखते मन मे उसके तस्वीर बनने लगी,
अधरा प्यसा बात बनने लगी,
उसके मुस्कान कुछ कहने लगी,
सपने मे उसके खोयाब आने लगी,

कुछ तो बात ऐसे थे आँखो मे वह कहने लगी,
अनचाहा बात होने लगी,
जीने की राज उसे कहना चाहा,
सुबह शाम मै इंतजार करता रहा।

मन से जिसको भाब दिया था,
जी जान से जिसको पाना चाहता था,
स्वप्ना जिसको लेकर जाल बुना था,
भबिष्यत जिसको लेकर फलने लगा था।

आशा की पुल बाधा था,
खुशियाँ मन मे सजने लगा था,
सपने मे हारियाली का सुंदरता देखा था,
रुखा सूखा मन मेरा फूलो की बगीचा की तरह खिलने लगा था।

क्या पाता वो खोखला निकलेगा,
क्या पाता उम्मीद मे पानी फिरेगा,
आनेवाला काल को नहीं देखा,
और मै अपने साथ गलत होते देखा।

देखा है मैंने उनके चेहरे कि ख़ुशी,
दो दिन का वह प्यार था,
दिल मे इकरार था, मन मे वह ख़ुशी था,
ख़ुशी मे वह झूमें थे, चेहरे पे उसके मुस्कान थी,
वह कलिओ के फुल थी, वह दो दिन का प्यार था।

रंग उसके बदलते देखा,
चेहरे कि मुस्कान बदलते देखा,
वह दो दिन का ख़ुशी था,
वह दो दिन का प्यार था।

ऐसा क्या बात हुई ख़ुशी उसके गायब हुई,
चेहरे कि हासि फीका हुई, उसके प्यार मुझसे कमी हुई।
वह रूखी से बेरुखी हुई, मेरा उपर नाराज हुई,
बात वह समझे नही दो दिन का प्यार हुई।

लगता है जिंदगी कभी कभी मज़ाक करती है,
कभी बात ऐसे बन जाति, कभी ऐसे बिगड़ जाति है।
देखा है मैंने दो रंग, देखा मैंने दो दिन का प्यार
जिंदगी ने सबक दिए, किया मै उसको इंकार।

दो दिन का ख़ुशी ओझोल हुई, दो दिन मे तकरार,
मीठा जुबान बदल हुई, इसीलिए मै किया इनकार।।

"अधूरा प्रेम: एक अनकही कहानी - अधूरे प्यार और अनकही भावनाओं की कहानी, जो टूटे रिश्तों और बिछड़ते एहसासों को दर्शाती है"

1. प्रेम का अनचाहा आरंभ:-
जीवन कभी-कभी अनचाहे हादसों से भरा होता है। कवि के जीवन में भी प्रेम एक अनचाहा मोड़ बनकर आया। बिना चाहे ही भावनाओं की पटकथा लिखी गई जिसमें हीरो तो था, पर नायिका ने बेवफाई की। यह अनुभव बताता है कि प्रेम हमेशा योजनाबद्ध नहीं होता, बल्कि अप्रत्याशित भावनाओं का खेल है। जीवन की यही पटकथा अधूरे प्रेम और दर्दभरी यादों से सजी हुई थी।

2. आकर्षण और मोह की गहराई:-
कवि अपने प्रिय के सौंदर्य से इस हद तक प्रभावित हुआ कि उसका हर पल उसी के ख्यालों में बीतने लगा। सुबह-शाम, सपनों और मन की हर छवि में वही रचने लगा। उसकी आँखों की भाषा, उसके चेहरे की मासूम मुस्कान और नशे जैसी उपस्थिति कवि को मदहोश कर गई। यह अवस्था प्रेम की नशा भरी दुनिया को सामने लाती है, जहाँ इंसान वास्तविक और कल्पनालोक के बीच उलझ जाता है।

3. उम्मीदें और स्वप्न:-
प्रेम ने कवि के भीतर नई उम्मीदें जगाईं। उसने साथ जीने के सपने बुनने शुरू किए। नीरस मन फूलों के बगीचे की तरह खिल उठा। भविष्य को लेकर योजनाएँ बनीं, और जीवन के हर कोने में रंग बिखरने लगे। यह चरण उस मासूम आशा को दर्शाता है जो सच्चे प्रेम में होती है—कि प्रिय हमेशा साथ रहेगा और खुशियों की दुनिया सजाएगा। मगर ये सपने जल्द ही अधूरे साबित हुए।

4. धोखा और टूटन:-
जिस व्यक्ति को दिल से चाहा और अपने जीवन का हिस्सा माना, वही बदल गया। मुस्कान फीकी पड़ी, प्यार कम हुआ और रूखा व्यवहार सामने आया। दो दिन का प्यार बेवफ़ाई में बदल गया। कवि ने देखा कि प्रेम में विश्वास टूटना कितना दर्दनाक होता है। यह अनुभव प्रेम को 'खुशी और दर्द' दोनों का संगम बनाता है। मासूम मोहब्बत अचानक पीड़ा और निराशा का कारण बन जाती है।

5. सीख और अनकहा सच:-
कवि ने जाना कि जीवन हमेशा सपनों जैसा नहीं होता। कभी बातें बनती हैं, तो कभी बिगड़ जाती हैं। दो दिन की मोहब्बत ने जीवन का गहरा सबक दिया—कि हर मुस्कान सच्ची नहीं होती और हर प्रेम स्थायी नहीं होता। आत्मा को झकझोरने वाला यह अनुभव धैर्य, समझ और आत्मबोध की ओर ले जाता है। कवि ने अन्ततः इस अधूरे दास्तां से सीख लेकर सब कुछ स्वीकार कर लिया।

निष्कर्ष:-
यह कविता प्रेम की यात्रा का दर्पण है—जहाँ पहली मुलाक़ात और आकर्षण से लेकर सपनों की उड़ानों तक सबकुछ मौजूद है। लेकिन जब सच्चाई बदलती है तो वही प्रेम दर्द और सबक में ढल जाता है। अधूरा प्रेम सिर्फ पीड़ा नहीं देता, बल्कि इंसान को परिपक्व बना देता है। यह जीवन की सच्चाई है कि हर भावना स्थायी नहीं होती, और कभी-कभी बेवफ़ाई भी इंसान को खुद को बेहतर समझने का अवसर देती है।

ये भी पढ़ें:-

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ