और अच्छी सेहत बिचारो के लिए जीने कि कला चाहिए।
जीते है इंसान तजुर्बे से, मिलते है कुछ तजुर्बे से,
अगर जीबन मे तजुर्बा ना हो सब कुछ बेकार है।
कुछ तो अपना चाहिए, कुछ तो खास चाहिए,
जीबन मे कुछ खुशियाँ चाहिए, कुछ तो अंदाज़ चाहिए।
मिलते नही आसानी से हर संघर्ष इम्तेहान लेता है,
हर संघर्ष मे कामियाबी के लिए जितने कि कला चाहिए।
कला वह खास है, कला वह अहसास है,
कला ही वह जीबन है जीनेवाले कई खास है।
जीबन कि अहसास ने हर मोड़ पे घुमाते है,
जीबन कि वह कला है हर मोड़ पे जान डालते है।
जीबन इतना सुन्दर है अहसास करके देखो,
जीबन मे इतना कला है कुछ समझ के तो देखो।
जिनके जीबन मे कला आ जाय हर पल खुशियाँ छा जाय,
कला ही वह खुबिया है हर तरफ छा जाय।
कला ही उत्साह है, कला ही खास है,
कला ही वह अंदाज है, कला ही अहसास है।
जीनेवाले जीते है खा पी के सो जाते है,
एक वह कलाकार है जो खास अंदाज मे जीते है।
किसीका होता है बोलने कि कला,
किसीका होता लिखने कि कला,
किसीका होता है कुछ भी करने कि कला।
कईओ ऐसे कलाकार हुए जो जिए है अपने अंदाज मे,
कईओ ऐसे कलाकार हुए संसार मे अपना नाम ऊंचा किए।
जिसे अपना नाम चाहिए, संसार मे ऊंचा मुकाम चाहिए,
ऐसे वह ना जिए, उसे जीबन जीने के लिए कला चाहिए।
कला ही मनन है, कला ही चिंतन, कला ही आत्मज्ञान है,
कला ही सृष्टि है, कला ही आत्मा, कला ही परमात्मा है।
प्रस्तावना :-
जीवन एक अनदेखी यात्रा है। इस जीवन की यात्रा को कोई भी पहले से नहीं जान सकता। जीवन जीने के लिए कला की आवश्यकता होती है। इस ब्लॉग पोस्ट में हम जीवन के उन पहलुओं की चर्चा करेंगे जो साधारण जीवन से कलाकार बनने की कला प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। कैसे अपनी आत्मा को समझकर सीखने, बढ़ने और जीवन जीने की कला में निपुण हुआ जा सकता है, और कैसे सकारात्मक सोच के साथ इंसान अपने जीवन को सही दिशा में ले जा सकता है।
जीवन एक विद्यालय है :-
जीवन एक विद्यालय है। इस जीवन में नया ज्ञान और अनुभव प्राप्त होता है। हम जैसे-जैसे नई चीजें सीखते हैं, वैसे-वैसे नई चुनौतियों का सामना करते हैं। अपने विवेक को समझकर हम आगे बढ़ते हैं। इस जीवन के विद्यालय में हर प्रकार की शिक्षा उपलब्ध है। केवल कुछ ही लोग इस जीवन के विद्यालय में निपुण हो पाते हैं।
आत्मज्ञान के महत्व को समझें :-
मनुष्य होने के नाते हर किसी के मन में आत्मज्ञान होना आवश्यक है। आत्मज्ञान हमें बताता है कि हम कौन हैं, हमारा उद्देश्य क्या है और हमें कहाँ जाना चाहिए। अपनी आंतरिक आवश्यकताओं को समझकर हमें अपनी प्राथमिकताओं को देखना चाहिए। जीवन में किए गए ये प्रयास हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ाते हैं।
अनुभव प्राप्त करें और सुख-दुःख का सामना करें :-
जीवन का हर क्षण हमें कोई न कोई अनुभव देता है, और हम लगातार सुख-दुःख का अनुभव करते रहते हैं। सुख के क्षणों में हमें आत्मसमर्पण और अनुपम आनंद मिलता है। और दुख के क्षण हमें सहनशीलता और साहस सिखाते हैं। इन्हीं अनुभवों से हम जीवन के मूल्य को समझते हैं।
जीवन में सहयोग और समर्थन का महत्व :-
जीवन जीने की कला में सहयोग और समर्थन का बहुत महत्व है। जीवन की कला में निपुणता केवल अपने करीबियों से सहायता और समर्थन पाकर ही मिलती है। सहयोग और समर्थन मिलने से हमारे आत्म-विकास में शक्ति आती है, जो हमें मानवीय संबंधों को मज़बूती से बनाए रखने की प्रेरणा देती है।
जीवन की कला में अनुभव का महत्व :-
जितने अधिक हम अनुभवी होते जाते हैं, उतना ही जीवन की कला का महत्व बढ़ता जाता है। समाज में हमारा महत्व केवल अनुभव के कारण ही बढ़ता है। अनुभव हमें जीवन की कला में समाज में एक विशेष स्थान दिलाता है। नाम और प्रसिद्धि कमाने में अनुभव की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जीवन की कलाओं में हमारी प्राथमिकता अनुभव के कारण ही बढ़ती है।
जीवन जीने की कला एक साहसी कार्य है :-
मानव जीवन अद्भुत और रोमांचकारी है। मानव का जीवन, विचार और कला—सब कला से जुड़े हैं। जीवन जीने के लिए कला चाहिए और जीवन में कला विकसित करना एक साहसी कार्य है। जीवन में चुनौतियों का सामना करना एक रोमांच है और जब हम इन रोमांचों को कला के साथ करते हैं, तो जीवन जीने की कला आनंदमय हो जाती है।
जीवन में कला क्यों महत्वपूर्ण है?
अच्छा और उच्च विचारों वाला जीवन जीने के लिए कला की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। बिना कला के जीवन जीने का कोई अर्थ नहीं है। दुनिया में करोड़ों लोग जन्म लेते और मर जाते हैं, लेकिन हम उन्हीं को पहचानते हैं जिनमें कुछ विशेष होता है। दुनिया में कई लोग अद्भुत गुणों के साथ जन्म लेते हैं और हमने देखा है कि कई लोगों ने इन्हीं गुणों को विकसित कर नाम और प्रसिद्धि प्राप्त की है।
कला की आवश्यकता क्यों है :-
यह महत्वपूर्ण नहीं है कि कौन कहाँ पैदा हुआ। आवश्यक यह है कि कला को महसूस किया जाए। कला को वास्तविक रूप देना आवश्यक है। कला भगवान का ऐसा वरदान है कि जिसे भी मिल जाए, उसके चारों ओर खुशी फैल जाती है। कला इंसान को उस ऊँचाई तक ले जा सकती है और उसके नाम को अमर बना सकती है।
कलाकार बनने की कला :-
जब कोई व्यक्ति कलाकार बनने में निपुण हो जाता है, तभी वह कलाकार कहलाता है। कलाकार होना मानव अभिव्यक्ति का सर्वोच्च रूप है। युगों से मानव ने कलाकार बनने की कला को सिद्ध किया है। व्यक्ति कला के अनुभव से निपुणता प्राप्त करता है और कलाकार कहलाता है।
निष्कर्ष :-
जीवन जीने की कला एक अनंत यात्रा है, जिसमें हम सीखकर, समझकर और अनुभव करके जीवन को खोज सकते हैं। जीवन जीने की कला में निपुण होकर हम नाम और प्रसिद्धि प्राप्त कर अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं। जीवन जीने की कला मनुष्य को गुणवान बनाती है और उसे समाज में ऊँचा स्थान प्रदान करती है।
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