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Amar Hone Ki Journey: Self-Belief aur Self-Control Kitna Zaroori Hai.

"अमर होने की यात्रा: आत्म-विश्वास और आत्म-नियंत्रण के महत्व को दर्शाती प्रेरणादायक छवि, जो आत्म-विकास और सफलता की ओर प्रेरित करती है।"

देख रहा हूं संसार की हाल,
चारों ओर फैली है बवाल,
कौन अच्छा कौन बुरा ना जानी,
यहां हर कोई है अभिमानी।

देख रहा हु संसार की हाल,
लोग करते चले जा रहे बबाल,
सच को जब तुम जानोगे,
पछताते तुम रह जाओगे।

संसार मे ना रहेगा कोई सहारा तुम्हारा,
किससे मदद मांगोगे वह भी तुम्हारे जैसा हारा,
हर कोई यहाँ हारते जा रहे है,
कौन करेगा न्याय बिचारा।

संसार मे अब लगी है आग,
चारो ओर मची है भागमभाग,
कभी कोई पूछा है खुदसे,
ये लड़ाई मची है कौन किससे।

संसार मे छायी है अंधेरा,
यहाँ पड़ लिखकर भी लोग है बेचारा,
किताब की बाते समझ ना पाई,
हर कोई यहाँ बने है गोसाई।

हर कोई यहाँ सब कुछ जाने,
कोई किसीका कहा ना माने,
हर कोई यहाँ बने है ज्ञानी,
थोथा ज्ञान से हर कोई भरा है जानी।

हर कोई यहाँ मूर्खता से भरे पड़े है,
ज्ञान की तरफ कोई ना धाबे,
मुर्ख लोगो की भरमार भरे है,
अज्ञानता हर किसी के मन मे घर करें है।

अज्ञानता की पल पल की कथा,
जीबन मे मिलता है पल पल मे धोखा,
हर एक के साथ है यही कहानी,
कोई किसीका बात ना मानी।

हर कोई अपना बड़ाई करें जानी,
वह सब थोथा भुस है ये कितनो ने मानी,
सत्य की द्वार अति नजदीक जानो,
कौन सत्य बोले ये अति दुष्कर है जानी।

इंसान ना करे बात विचारा,
कौन है इंसान नेक विचारा,
नेकी इंसान जो कर रहे है जानो,
अमरता की ओर जा रहे है जानो।

अमरता एक तपस्या जाने,
अमरता एक धैय और संयम जानो,
अमरता कोई आसान चीज नहीं है जानो,
अमरता पाना भी कोई कठिन बात नहीं है जानो।

अमरता अमृत की धारा है,
जो सदा बहता रहता है,
शायद बिरल से भी बिरल इस धारा को जान पाया,
और अति बिरल ब्यक्ति ने उस अमरता को पाया।

सपनो की संसार मे कोई करें संयम की बात,
महापुरुष की गुण उनमें है जो भी हो हालात,
संयम की अभ्यास करें जो प्राणी,
अमरता की ओर बढ़ता है जानी।

बोली बचन में जो संयम की अभ्यास करें जो जानी,
वह व्यक्ति धीरे-धीरे महानता की ओर जाता है जानी,
महानता आसान सभी जानो,
जीवन में मनसा बाचा कर्मना की अभ्यास करते रह जानो।

आत्मशुद्धि, कर्मशुद्धि का जीवन में बड़ा महत्व होता है,
आत्मशुद्धि, कर्मशुद्धि ही महानता की ओर धकेलता है,
आत्मशुद्धि, कर्मशुद्धि जीबन की एक धारा है,
और अति बिशेष महान आत्मा इस धारा को पकड़ पाता है।

आत्मशुद्धि आत्मबल मे बढ़ोतरी करते है,
आत्मबल ही जीबन मे महान कर्म मे प्रेरित करते है,
आत्मबल जीबन की आधार है,
आत्मबल ही जीबन की मेरुदंड है।

आत्मबल मे प्रफुल्ल होकर लोग करते है बड़े काम,
आत्मबल की सदुपयोग से होता है बड़ा नाम,
आत्मबल ही सफलता की कुंजी है,
आत्मबल ही जीबन की सबसे बड़ा पूंजी है।

जीबन मे कुछ बड़ा करना है, आत्मबल को बढ़ाना है,
जीबन मे उपलब्धि की सीढ़ी चढ़ना है,
आत्मबल की रसद बढ़ाते जाना है,
कामियाबी की ओर चलते जाना है।

जीबन मे कामियाबी की पटकथा लिखना है?
आत्मबल की शक्ति को समझना चाहिए,
जो ब्यक्ति आत्मबल से होते है भरपूर,
वह ब्यक्ति दुनिया मे होते है मशहूर।

जीवन में महानता की प्रयास करते रहना चाहिए,
और आत्म संयम के साथ-साथ,
मन, बुद्धि, कर्म से ऊपर उठाना चाहिए,
और जीवन के लक्ष्य श्रेष्ठता का प्राप्ति ही होना चाहिए।

1. संसार की अराजक और अहंकारी स्थिति:-
कवि संसार की वर्तमान दशा पर चिंता व्यक्त करते हुए कहते हैं कि चारों ओर विवाद और अशांति का माहौल है। इस कोलाहल में सही और गलत की पहचान करना असंभव हो गया है, क्योंकि हर व्यक्ति अहंकार में डूबा है। लोग बिना सोचे-समझे केवल कलह बढ़ा रहे हैं। कवि के अनुसार, यह एक ऐसी स्थिति है जहाँ कोई किसी का सहारा नहीं है, क्योंकि हर कोई अपनी आंतरिक लड़ाई में हारा हुआ महसूस कर रहा है। ऐसे स्वार्थ और अभिमान से भरे समाज में न्याय और सहयोग की अपेक्षा करना व्यर्थ है। यह चित्रण आज की सामाजिक वास्तविकता पर एक मार्मिक टिप्पणी है।

2. अज्ञानता और थोथे ज्ञान का प्रसार:-
कविता का एक प्रमुख बिंदु समाज में फैली अज्ञानता है। कवि कहते हैं कि लोग शिक्षित होकर भी असहाय हैं, क्योंकि उन्होंने किताबी ज्ञान के वास्तविक सार को नहीं समझा है। हर व्यक्ति स्वयं को सबसे बड़ा ज्ञानी मानता है और किसी दूसरे की बात सुनने को तैयार नहीं है। यह ज्ञान वास्तविक नहीं, बल्कि खोखला ("थोथा ज्ञान") है, जो केवल अहंकार को पोषित करता है। इसी अज्ञानता के अंधकार ने लोगों के मन में घर कर लिया है, जिसके कारण वे जीवन के सही मार्ग से भटक गए हैं और हर कदम पर धोखे का सामना कर रहे हैं।

3. संयम और सदाचार से अमरता का मार्ग:-
कवि सांसारिक समस्याओं से ऊपर उठने का मार्ग दिखाते हुए 'अमरता' की संकल्पना प्रस्तुत करते हैं। यहाँ अमरता का अर्थ भौतिक शरीर से नहीं, बल्कि अपने श्रेष्ठ कर्मों और गुणों से सदैव याद किए जाने से है। यह पद प्राप्त करना एक कठिन तपस्या है, जिसके लिए धैर्य और संयम की आवश्यकता होती है। जो व्यक्ति अपनी वाणी, मन और कर्म पर नियंत्रण रखता है और कठिन परिस्थितियों में भी सदाचार का पालन करता है, वही धीरे-धीरे महानता की ओर बढ़ता है। यह मार्ग दुर्लभ है, पर उन लोगों के लिए सुलभ है जो निरंतर आत्म-अनुशासन का अभ्यास करते हैं।

4. आत्मबल और आत्मशुद्धि का महत्व:-
कविता का केंद्रीय संदेश आत्मबल और आत्मशुद्धि की महिमा पर आधारित है। कवि के अनुसार, महानता का द्वार आत्मशुद्धि (मन की पवित्रता) और कर्मशुद्धि (उत्तम कर्म) से ही खुलता है। इन दोनों से आत्मबल में वृद्धि होती है, जो जीवन का मूल आधार और रीढ़ की हड्डी के समान है। आत्मबल ही व्यक्ति को बड़े और महान कार्य करने के लिए प्रेरित करता है और यही सफलता की कुंजी है। कवि इसे जीवन की सबसे बड़ी पूंजी मानते हैं, जिसके बिना कोई भी बड़ी उपलब्धि हासिल करना असंभव है। आत्मबल से परिपूर्ण व्यक्ति ही दुनिया में प्रसिद्धि और सम्मान प्राप्त करता है।

5. जीवन का परम लक्ष्य: श्रेष्ठता की प्राप्ति:-
कविता के अंत में कवि जीवन के वास्तविक लक्ष्य को परिभाषित करते हैं। उनके अनुसार, जीवन का उद्देश्य केवल भौतिक सफलता पाना नहीं, बल्कि 'श्रेष्ठता' को प्राप्त करना है। इसके लिए व्यक्ति को निरंतर महानता की दिशा में प्रयास करना चाहिए। यह तभी संभव है जब वह आत्म-संयम का अभ्यास करते हुए अपने मन, बुद्धि और कर्म के साधारण स्तर से ऊपर उठे। जीवन के हर क्षेत्र में उत्कृष्टता और आदर्श स्थापित करना ही मनुष्य का परम ध्येय होना चाहिए। यह एक ऐसी यात्रा है जो व्यक्ति को आत्मिक संतुष्टि और सार्थक जीवन की ओर ले जाती है।

निष्कर्ष:-
यह कविता वर्तमान समाज की नैतिक और आध्यात्मिक गिरावट का सजीव चित्र प्रस्तुत करती है, जहाँ अहंकार, अज्ञानता और कलह का बोलबाला है। लेकिन कवि केवल समस्या बताकर नहीं रुकते, बल्कि एक स्पष्ट समाधान भी प्रस्तुत करते हैं। उनका संदेश है कि बाहरी दुनिया को बदलने से पहले व्यक्ति को स्वयं को बदलना होगा। आत्मशुद्धि, संयम और आत्मबल का विकास करके ही कोई व्यक्ति न केवल अपनी समस्याओं से पार पा सकता है, बल्कि समाज में एक सकारात्मक बदलाव का स्रोत भी बन सकता है। अंततः, यह कविता आत्म-सुधार के माध्यम से श्रेष्ठता प्राप्त करने का एक शक्तिशाली आह्वान है।

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