हमने देखे हैं अनगिनत चेहरे,
हमने की हैं ढेरों लोगों से बातें,
हमने लिखे हैं कई किस्से की बातें।
किस्मत किस्तों में नहीं लिखी जाती,
और किस्मत का करिश्मा कहा नहीं जाता।
हर कोई दीवानगी रखता है ख़ूबसूरती की,
यहाँ तक कि जिन्हें हक़ नहीं, वे भी बिक जाते हैं।
हमने देखे हैं कई मज़बूत, बलवान और ईमानदार।
कौन है वो ख़ुशकिस्मत जो किस्मत को आज़माए?
हमने देखी हैं कई मुश्किलें ज़िंदगी की राहों में,
कौन हैं वो नसीबवाले जो किस्मत की कसौटी पर खरे उतरे?
हमने पढ़ी कई किताबें और देखे कई लोगों के मुक़द्दर।
बिगड़ती दुनिया में कई खेल भी खेले जाते हैं।
जो ज़िंदगी की यात्रा में किस्मत गढ़ते हैं,
किस्मत ने उन्हें भी बहुत कुछ दिया है, यह हमने देखा।
ज़िंदगी के अनुभव ने हमें बहुत कुछ लिखवाया।
किस्मत क्या है, जो पलक झपकते ही बदल जाए?
दुनिया की हर चीज़ तोली और नापी जाती है।
कीमत वही है, जो किसी काम की हो,
अगर मैं अपनी किस्मत तौलना चाहूँ, तो तौल नहीं सकता।
क्या अजीब किस्मत है, जो तराज़ू पर भी न तौली जा सके।
कर्म मानव जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हम कर्म के माध्यम से ही एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। इस ब्लॉग पोस्ट में हम विचार करेंगे कि “हमने बहुत से लोगों से मुलाक़ात की” और कैसे कर्म के सिद्धांत व उसके परिणाम मानव जीवन में प्रकट होते हैं। कर्मफल का सिद्धांत और उसका प्रभाव मानव जीवन में बहुत गहराई तक जाता है। आखिर कर्मफल का सिद्धांत क्या है, और हमें इसके बारे में क्यों सोचना चाहिए? साथ ही हमें यह भी समझना होगा कि कर्मफल का सिद्धांत किस प्रकार परिणाम देता है।
साझा अनुभव :-
जीवन में हम कई लोगों से मिलते हैं, जो असाधारण कार्य करते हैं और उन लोगों से मिले अनुभव हमारे कर्म को प्रभावित करते हैं। अनुभव साझा करने से हम अपनी गलतियों को सुधारते हैं। कठिन समय में साझा अनुभव विशेष रूप से सहायक होते हैं। साझा अनुभव का कोई अंत नहीं होता। कर्म सिद्धांत के अनुसार साझा अनुभव हमें आगे बढ़ने में मदद करता है।
समर्पण और सेवा भाव :-
कर्म का पहला सिद्धांत मानव जीवन में समर्पण और सेवा भाव को प्रोत्साहित करता है। समर्पण और सेवा भाव से हम समाज को आगे बढ़ाने में योगदान दे सकते हैं। समर्पण और सेवा के माध्यम से हम मन की दूरियों को मिटाकर आपसी संबंधों को गहरा कर सकते हैं। कर्मफल के सिद्धांत के अनुसार, हर कोई समर्पण और सेवा की भावना से जुड़ा हुआ है। कहा गया है—“जैसा करोगे, वैसा पाओगे।” अर्थात जो समर्पण और सेवा का भाव अपनाएगा, उसे वैसे ही फल मिलेंगे।
कार्य में उत्साह और सही मार्गदर्शन होना चाहिए :-
मानव जीवन में कर्म का सिद्धांत हमें उत्साह से भरता है और सही दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। सही कर्म और सही मार्गदर्शन किसी भी व्यक्ति की सफलता के लिए आवश्यक हैं। व्यक्ति केवल सही कर्म करके ही नाम और प्रसिद्धि प्राप्त कर सकता है। कर्मफल सिद्धांत के अनुसार सही परिणाम पाने के लिए सही कर्म और सही मार्गदर्शन ज़रूरी है। गलत कर्म कभी सही फल नहीं दे सकते।
कर्म में नैतिकता और उदारता होनी चाहिए :-
किसी व्यक्ति को कर्म से विमुख नहीं होना चाहिए, बल्कि उसके कार्यों में नैतिकता और उदारता होनी चाहिए। कर्म से विमुख होना व्यक्ति को असफलता की ओर धकेलता है। कर्म का सिद्धांत हमें नैतिकता और उदारता का महत्व समझाता है। क्योंकि कर्मफल का सिद्धांत इन्हीं में प्रभावी होता है। किसी भी कार्य को करने से पहले उसे कर्म के सिद्धांत को समझकर करना चाहिए।
मानव जीवन में कर्म का सिद्धांत :-
मानव जीवन रहस्यों और चमत्कारों से भरा हुआ है। हमने बहुत से लोगों से मुलाक़ात की है और यह स्पष्ट है कि मानव जीवन में कर्म का सिद्धांत सदैव कार्यरत है। जीवन चक्र में मनुष्य को अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उन समस्याओं को हल करने के लिए कर्म के सिद्धांतों को सही रणनीति के साथ अपनाना चाहिए। कर्म का सिद्धांत मानव जीवन में निरंतर फल देता रहता है।
सही कर्म व्यक्ति को मज़बूत बनाता है :-
जो व्यक्ति कर्म के सिद्धांतों को समझता है, वह हमेशा मज़बूत बनकर उभरता है। जीवन में उसे अनेक बाधाओं का सामना करना पड़ता है, लेकिन इन समस्याओं से संघर्ष करते हुए व्यक्ति हार नहीं मानता और साहसपूर्वक लड़ता है। अंततः वह किसी भी समस्या का समाधान आसानी से खोज लेता है। कर्मफल सिद्धांत के अनुसार सही कर्म ही व्यक्ति को मज़बूत बनाता है। और इससे हमें भीतर से यह प्रेरणा मिलती है कि हमने कुछ भी गलत नहीं किया।
अपने कर्म का सर्वोच्च मूल्य :-
मनुष्य को अपने कर्म का सर्वोच्च मूल्य अपनाना चाहिए ताकि वह एक अच्छे और करुणामय जीवन का निर्वाह कर सके। कई दुर्भाग्यशाली लोगों ने भी अच्छे कर्म करके अपनी किस्मत बदल दी है। अर्थात कर्मफल सिद्धांत के अनुसार, व्यक्ति को किसी भी कार्य को करते समय अपने कर्म को सर्वोच्च मूल्य देना चाहिए। जब हम अपने कर्म को समझेंगे, तभी हमें यह ज्ञान होगा कि कौन-सा कार्य करना उचित है और कर्मफल का सिद्धांत कैसे काम करता है।
महान लोगों के अनुभव गुणों के विकास में सहायक :-
कर्म सिद्धांत में सद्गुणों को बढ़ाने की प्रेरणा दी गई है। विभिन्न महान लोगों ने अपने कर्म के सिद्धांतों को सर्वोच्च स्थान दिया। वे अपने अनुभव और सद्गुणों के विकास के माध्यम से समाज को उन्नत बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। हमें भी उनके अनुभव और शिक्षाओं को समझकर आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए। कर्मफल सिद्धांत के अनुसार कहा गया है—“जैसा करोगे, वैसा पाओगे।” यानी अच्छे कर्म से अच्छा फल, बुरे कर्म से बुरा फल। इस प्रकार कर्मफल सिद्धांत हमें अच्छे कर्म करने की प्रेरणा देता है।
कर्म सिद्धांत का एक मुख्य आधार है—फल। सामान्यतः जैसा कर्म, वैसा फल—यह विश्वास भारतीय उपमहाद्वीप में विशेष रूप से माना जाता है। यह एक प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र की तरह कार्य करता है। जैसा कर्म, वैसा फल—यह सिद्धांत कर्मफल को पूर्णता प्रदान करता है। यह एक अचूक सत्य है जिसे अनेक विद्वान सौ प्रतिशत सत्य मानते हैं।
निष्कर्ष :-
हमने बहुत से लोगों से मुलाक़ात की है, और मानव जीवन में कर्म के सिद्धांत को विचारने से हमें यह समझ में आता है कि कर्म का सिद्धांत हमें कैसे बेहतर और मज़बूत बना सकता है। एक अच्छा नागरिक बनने के साथ-साथ व्यक्ति नाम और प्रसिद्धि भी अर्जित कर सकता है। हमने बहुत से लोगों से मुलाक़ात की है, और यह लेख हमें सही कर्म करने की सीख देता है तथा यह पुष्टि करता है कि कर्मफल का सिद्धांत एक अटूट सत्य है। मानव जीवन में कर्म का सिद्धांत प्रकृति के पारिस्थितिकी तंत्र की तरह निरंतर कार्य करता रहता है।
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